जोधपुर, 19 सितम्बर (हि.स.)। महात्मा गांधी अस्पताल में अब किसी भी बड़े निजी हॉस्पिटल की तरह मोटापा कम करने के लिए बेरिएट्रिक सर्जरी की शुरुआत हो गई हे।
हॉस्पिटल अधीक्षक डॉ. फ़तेह सिंह भाटी ने बताया कि इस प्रकार के ऑपरेशन के लिए गेस्ट्रो सर्जरी विभाग में सभी आवशयक उपकरण उपलब्ध करवाए गए है ताकि मरीज़ों को इस सुविधा का लाभ मिल सके। सामान्यतया इस ऑपरेशन के लिए मरीज़ बड़े शहरों में लाखों रुपये लगाकर यह सर्जरी करवाते हे। महात्मा गांधी हॉस्पिटल में यह ऑपरेशन विभिन्न सरकारी योजनाओं में निशुल्क किया जा रहा है। गेस्ट्रोसर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. दिनेश चौधरी ने बताया कि बेरिएट्रिक सर्जरी केवल मोटापा कम करने का ऑपरेशन नहीं होकर मेटाबोलिक सर्जरी है। इसमेंं मोटापा कम करने के साथ ही मोटापे से जुड़ी समस्याओं डाइबिटीज़, हाइपर टेंशन, जोड़ों में दर्द, विभिन्न प्रकार के ह्रदय रोग, फ़ैटी लिवर आदि से या तो पूर्ण रूप से निजात मिल जाती है अथवा उपयोग में आने वाली दवाइयां बहुत कम हो जाती है।
पहला ऑपरेशन महिला का
महात्मा गांधी हॉस्पिटल में पहला बेरिएट्रिक ऑपरेशन गेस्ट्रो सर्जरी विभाग में लेप्रोस्कोपिक स्लीव गेस्ट्रेक्टोमी किया गया। जोधपुर की रहने वाली मरीज़ का वजन 120 किलो ग्राम और बीएमआई 40 था। मरीज़ डाइबिटीज़, हाइपर टेंशन से भी पीडि़त थी। मरीज़ की सारी जांचें करवाने के बाद ऑपरेशन की सलाह दी गई। मरीज़ की लेप्रोस्कोपिक स्लीव गेस्ट्रेक्टोमी की गई जिसमें अमाशय का 80 प्रतिश भाग स्टेप्लर विधि से काटकर निकाल लिया गया। ऑपरेशन 3-डी विधि से किया गया, दूरबीन से ऑपरेशन करने से मरीज़ के पेट में केवल 4 टांके आए है। ऑपरेशन चार घंटे चला। मरीज़ को पित्त की थैली में पथरी की शिकायत थी तो बेरीआट्रिक सर्जरी के साथ पित्त की थैली भी निकाली गई। ऑपरेशन करने में डॉ. दिनेश चौधरी, डॉ. सोमेंद्र, डॉ. लवकुश, डॉ. विजय, डॉ. डूंगर सिंह, डॉ. विशाल, डॉ. सुनीता तथा नर्सिंग ऑफि़सर नग़ाराम, राम ने सहयोग किया। निश्चेतना टीम में विभागाध्यक्ष डॉ सरिता जनवेजा तथा डॉ. प्रमिला सोनी, डॉ. अभिलाषा, डॉ. अनिषा, रेजिडेंट डॉ. नरेंद्र एवं डॉ. ऐश्वर्य शामिल रहे।
क्या है स्लीव गेस्ट्रेक्टोमी ऑपरेशन
इस ऑपरेशन में मरीज़ के अमाशय के 75-85 प्रतिशत भाग को निकाल दिया जाता है जिससे मरीज़ के अमाशय का आकर छोटा होने से मरीज़ एक बार में 50-100 ग्राम खाना ही खा पाता है। इसके साथ ही अमाशय का फ़ंडस भाग ग्रहेलीन नामक हार्मोन स्त्रावित करता है जो मस्तिष्क में भूख की संवेदना को प्रारम्भ करता है। उस फ़ंडस भाग को निकालने से रक्त में ग्रहेलिन की मात्रा कम होने से भूख कम लगती हैे। इससे ऑपरेशन के 1-3 महीने में अतिरिक्त वजन कम हो जाता है। अभी मरीज़ एकदम स्वस्थ हैर अभी वजन भी दस किलो ग्राम कम हुआ है। अगले 1-2 महीने में वजन 30-40 किलो कम होकर सामान्य हो जाएगा। डाइबिटीज़ व हाइपर टेंशन में भी बहुत फ़ायदा होगा।