Language controversy: पवन कल्याण के बयान पर भड़के प्रकाश राज, कहा- 'जनता को हिंदी सिखाना ठीक नहीं
News India Live, Digital Desk: Language controversy: जाने-माने अभिनेता और सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर बेबाकी से राय रखने वाले प्रकाश राज एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने तेलुगु फिल्मों के सुपरस्टार और राजनेता पवन कल्याण के एक बयान को लेकर उन पर हमला बोला है। यह विवाद तब खड़ा हुआ जब पवन कल्याण ने तेलुगु भाषी जनता को हिंदी सीखने की सलाह दी। इस पर प्रकाश राज ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे 'शर्मनाक' और 'असंवैधानिक' करार दिया।
प्रकाश राज ने एक्स (पहले ट्विटर) पर अपने पोस्ट में पवन कल्याण के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा, "पवन कल्याण को ये बात याद रखनी चाहिए कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है।" उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत के संविधान के तहत हिंदी केवल एक आधिकारिक भाषा है, और हर भारतीय राज्य अपनी मातृभाषा और सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखने का अधिकार रखता है। प्रकाश राज ने इस बात पर जोर दिया कि एक तेलुगु नेता का अपनी ही जनता से हिंदी सीखने की अपेक्षा करना न केवल विरोधाभासी है, बल्कि शर्मनाक भी है। उन्होंने पूछा कि आखिर हम साउथ में ये कैसे सुनेंगे, जहां 'साउथ इंडियंस' को उनके बोलने के तरीके के लिए मज़ाक उड़ाया जाता है।
इस बयान से भाषाई पहचान और राष्ट्रीय भाषा के दर्जे को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। प्रकाश राज का तर्क है कि प्रत्येक क्षेत्रीय भाषा का अपना महत्व है और उसे सम्मान दिया जाना चाहिए। वह मानते हैं कि हिंदी थोपने की कोशिश भारत की भाषाई विविधता और संघीय ढांचे के खिलाफ है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जब हिंदी के लोग साउथ की भाषाओं को नहीं सीख रहे हैं तो हम पर हिंदी थोपने की कोशिश क्यों की जा रही है? यह दक्षिण भारत में अक्सर महसूस किए जाने वाले भाषाई और सांस्कृतिक पहचान के संवेदनशील मुद्दे को रेखांकित करता है।
यह विवाद उस व्यापक बहस का हिस्सा है जहाँ अक्सर हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में थोपने की कोशिशों का दक्षिण भारतीय राज्यों द्वारा कड़ा विरोध किया जाता है। प्रकाश राज अपने इस स्टैंड पर लगातार मुखर रहे हैं, और उन्होंने पहले भी इसी तरह के बयानों का विरोध किया है। इस बार भी, उन्होंने साफ कर दिया है कि वह क्षेत्रीय भाषाओं और सांस्कृतिक पहचान के अधिकारों का पुरजोर समर्थन करते रहेंगे।
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