भूस्खलन: भारत के इतिहास में 5 सबसे विनाशकारी भूस्खलन

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केरल में कुदरत ने जमकर कहर बरपाया है. केरल के वायनाड जिले में मंगलवार सुबह तीन घंटे के अंदर हुए चार भूस्खलन में अब तक 145 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. साथ ही 200 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं. मौत का आंकड़ा हर पल बदल रहा है. रात 2 बजे से सुबह 6 बजे के बीच हुए भूस्खलन में चार गांव बह गए.

मुंडक्कई, चुरामाला, अट्टमाला और नुल्लाप्पुझा में घर, पुल, सड़कें और वाहन भी बह गए। भूस्खलन के बाद हर तरफ तबाही का मंजर देखने को मिला. नदी में तैरती लाशें, टूटी सड़कें और पुल और खंडहर में बिखरे सैकड़ों घर। भारत के इतिहास के 5 सबसे विनाशकारी भूस्खलनों के बारे में जानें।

केदारनाथ भूस्खलन (2013) 

16 जून 2013 को केदारनाथ में आपदा आई थी. उत्तराखंड में बादल फटने की इस विनाशकारी आपदा ने कई शहरों और गांवों को तबाह कर दिया। बाढ़ के बाद हुए भूस्खलन से 5700 से अधिक लोग मारे गए और 4200 से अधिक गांव प्रभावित हुए।

दार्जिलिंग भूस्खलन (1968)

पश्चिम बंगाल के खूबसूरत शहर दार्जिलिंग में 4 अक्टूबर 1968 को भूस्खलन के कारण विनाशकारी बाढ़ आई, जिससे 60 किमी लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग कई हिस्सों में टूट गया। इस आपदा में एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और शहरों को भी काफी नुकसान हुआ.

गुवाहाटी भूस्खलन (1948)

18 सितंबर 1948 को असम के गुवाहाटी में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन से भारी क्षति हुई थी। इस आपदा के कारण पूरा गांव दफन हो गया और 500 से अधिक लोग इस आपदा में दब गए।

मालपा भूस्खलन (1998)

1998 में, उत्तराखंड (अब यूपी) के पिथौरागढ़ जिले का मालपा गांव लगातार 7 दिनों तक भूस्खलन की चपेट में रहा, जिसमें 380 से अधिक लोग मारे गए। इस विपदा से पूरा गाँव दब गया।

मालिन, महाराष्ट्र भूस्खलन (2014)

2014 में, भारी बारिश के कारण महाराष्ट्र के मालिन गांव में भूस्खलन हुआ, जिसमें 151 से अधिक लोग मारे गए और 100 से अधिक लापता हो गए।