पूर्णिया, 25 मई (हि. स.)। केनगर के तत्कालीन अंचलाधिकारी शिल्पी कुमारी और वर्तमान राजस्व कर्मचारी पंकज कुमार भारती के खिलाफ गलत तरीके से जमीन का नामांतरण (म्यूटेशन) दूसरे के नाम करने के आरोप में एफआईआर दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई केनगर में स्थित 5 डिसमिल 5 वर्ग कड़ी जमीन से जुड़े मामले में की गई है।
प्राप्त विवरण के अनुसार, न्यायालय में इस मामले के लंबित रहने के बावजूद सीओ और राजस्व कर्मचारी ने जमीन का म्यूटेशन कर दिया था। इस संबंध में केनगर की निवासी श्वेता सुमन ने सीजेएम के यहां एक अभियोग पत्र दाखिल किया था। सीजेएम के आदेश पर केनगर थाने में तत्कालीन सीओ शिल्पी कुमारी और राजस्व कर्मचारी पंकज भारती के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई है।
केनगर थानाध्यक्ष पुअनि नवदीप कुमार गुप्ता ने बताया कि न्यायालय के आदेश पर यह मामला दर्ज किया गया है और आगे की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। वहीं, राजस्व कर्मचारी पंकज कुमार भारती से उनका पक्ष जानने के लिए उनके मोबाइल नम्बर- 8210160491 पर सम्पर्क किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। उसने ना ही भेजे गए मैसेज का कोई जवाब दिया।
मामला केनगर अंचल के रिकावगंज नयाटोला का है, जहां विशाल राज ने नामान्तरण वाद सं. 2773/23-24 दाखिल किया था। इसके खिलाफ संतोष कुमार यादव की पत्नी श्वेता सुमन ने अंचलाधिकारी को आपत्ति दर्ज कराई थी।दर्ज आपत्ति में कहा गया था कि जिस जमीन पर नामान्तरण वाद सं. 2773/23-24 दाखिल किया गया है, उस जमीन पर वर्तमान में दीवानी वाद सं. 225/23 न्यायालय में लंबित है। उनका आरोप है कि उनकी आपत्ति के बावजूद विपक्षी पक्ष के नाम जमीन का नामांतरण कर दिया गया।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने अपने न्यायालय में दाखिल अभियोग वाद संख्या 950/24 पर अनुसंधान की आवश्यकता दिखाते हुए केनगर थानाध्यक्ष को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है। इसके बाद केनगर थाना कांड संख्या 174/24 (जीआरनं. 2431/24) दर्ज किया गया है।
वादी के अधिवक्ता श्याम सुंदर पांडेय ने कानून का हवाला देते हुए कहा कि बिहार भूमि दाखिल खारिज अधिनियम 2011 के अध्याय-5 की धारा-12 में सख्त निर्देश है कि जिस जमीन पर दीवानी वाद चल रहा हो, उस दीवानी वाद के दौरान नामांतरण को स्वीकृत करना घोर लापरवाही है।
अधिवक्ता ने बताया कि यह मामला केनगर अंचल में स्थित एक जमीन विवाद से जुड़ा है। न्यायालय में इस विवाद के लंबित रहने के बावजूद भी संबंधित अधिकारियों द्वारा जमीन का नामांतरण कर दिया गया था, जो कानून के विपरीत था।