क्षत्रियों की नाराजगी बीजेपी पर कितनी भारी पड़ी? यूपी-राजस्थान में सीटें घटने के पीछे यही वजह

 लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे बीजेपी के लिए चौंकाने वाले साबित हुए हैं. बीजेपी ने 240 सीटें जीतीं, जबकि सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश से लगा. यहां पार्टी को सिर्फ 33 सीटें मिली हैं. जिसका सीधा असर बहुमत के आंकड़े पर पड़ता है. लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने यूपी में 62 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार ये 29 सीटें बीजेपी के हाथ से फिसल गई हैं. वहीं, राजस्थान में जहां पिछले दो चुनावों में बीजेपी का सूपड़ा साफ हुआ था, वहां भी बीजेपी की सीटें कम हो गई हैं. इन राज्यों में बीजेपी को हुए नुकसान को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. ऐसी भी चर्चा है कि क्षत्रिय समुदाय के असंतोष के कारण बीजेपी की सीटों में गिरावट आई है. अयोध्या के नतीजे बताते हैं कि क्षत्रिय समाज में मतभेद गहरा गया है.

बीजेपी और क्षत्रिय समाज के बीच दरार की वजह

उत्तर प्रदेश करणी सेना के अध्यक्ष राकेश सिंह रघुवंशी ने कहा कि सरकार राम मंदिर आंदोलन का श्रेय दूसरे समुदाय को कैसे दे सकती है. वह उन क्षत्रियों की उपेक्षा कैसे कर सकते थे जिन्होंने मंदिर के लिए सबसे अधिक संघर्ष किया? राम मंदिर ट्रस्ट में समाज का कोई नेता न होने से पार्टी से समाज का विश्वास उठ गया है।

राकेश सिंह रघुवंशी ने कहा, ‘महाराजा जयचंद्र गहरवार द्वारा बिना किसी तथ्य के अपमानजनक टिप्पणी कर क्षत्रिय समाज को अपमानित करना, राजा मानसिंह एवं अन्य क्षत्रिय राजाओं पर अपमानजनक बयान देकर पूरे समाज का मजाक उड़ाना और क्षत्रियों के योगदान को बदनाम करना और मंदिरों और कुछ राजाओं को बचाने के लिए उन्हें राष्ट्रीय नायक के रूप में प्रचारित करने से भी समाज में असंतोष पैदा हुआ।’

क्षत्रिय समाज में असंतोष 

क्षत्रिय समुदाय में बीजेपी के खिलाफ असंतोष ने इस लोकसभा चुनाव में पार्टी की स्थिति खराब कर दी. इस असंतोष की आग काफी समय से जल रही थी और पिछले दो-तीन सालों में कई विवादों के दौरान सोशल मीडिया पर पार्टी के खिलाफ ट्रेंड हुआ. बीजेपी के वरिष्ठ नेता परषोत्तम रूपाला के विवादित बयान से क्षत्रिय समाज में आक्रोश फैल गया.

राजस्थान में क्षत्रिय निर्णायक 

राजस्थान में कांग्रेस को जिन सीटों पर जीत मिली, उनमें क्षत्रिय समुदाय के वोट निर्णायक रहे. दौसा, भरतपुर, करौली-धौलपुर, टोंक सवाई माधोपुर में क्षत्रिय समाज की नाराजगी से बीजेपी को झटका लगा. भाजपा ने 2023 विधानसभा में क्षत्रियों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं दिया। टिकट आवंटन को लेकर विवाद हुआ था, लेकिन चुनाव के दौरान विवाद सुलझ गया. लोकसभा चुनाव से पहले इस विवाद की आग परषोत्तम रूपाला के बयान से फिर भड़क गई है. क्षत्रिय समुदाय को लेकर रूपाला के विवादित बयान का असर भले ही गुजरात में नहीं हुआ, लेकिन राजस्थान के क्षत्रिय समुदाय में इसकी गहरी गूंज हुई. इसके अलावा जाट और क्षत्रिय समाज पर भी वसुंधरा राजे का प्रभाव है.

यूपी में बीजेपी को बड़ा नुकसान हुआ

भाजपा को उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा, जहां एनडीए 62 सीटों से घटकर 33 रह गई और समाजवादी पार्टी की सीटें बढ़ गईं। 2014 में बीजेपी ने 21 क्षत्रिय उम्मीदवारों को टिकट दिया था, जिनमें से 19 जीते, इस चुनाव में पार्टी ने क्षत्रिय समुदाय से सिर्फ 10 उम्मीदवारों को टिकट दिया.