आखिरकार उत्तर प्रदेश के बलिया में नरही थाने के दरोगा पन्नालाल को सरेंडर करना पड़ा। आजमगढ़ एसओजी की टीम उन्हें गिरफ्तार करने उनके घर पहुंची थी। खुद को घिरा देख दरोगा पन्नालाल ने हाथ खड़े कर दिए। डीआईजी वैभव कृष्ण के मुताबिक दरोगा को पूछताछ के लिए पीसीआर में भी ले जाया जा सकता है।
नरही इंस्पेक्टर पन्नेलाल गिरफ्तार
बलिया के नरही थाने में एडीजी-डीआईजी की छापेमारी के बाद से फरार चल रहे इंस्पेक्टर पन्नालाल ने रविवार रात गोरखपुर में सरेंडर कर दिया। एडीजी के आदेश पर इंस्पेक्टर के खिलाफ उसके ही थाने नरही में केस दर्ज किया गया था। उस वक्त एडीजी डीआईजी की टीम ने दो पुलिसकर्मियों और 16 दलालों को गिरफ्तार किया था। अब इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी के बाद इस मामले में कुल 19 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। डीआईजी वैभव कृष्ण के मुताबिक, इंस्पेक्टर को आज कोर्ट में पेश कर जेल भेजा जाएगा।
जरूरत पड़ने पर बाद में उसे पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिया जाएगा और इस मामले में आगे की जांच की जाएगी। फिलहाल जांच टीम इंस्पेक्टर पन्नालाल को ही रंगदारी मामले का मुखिया मान रही है। हालांकि पुलिस के पास कुछ ऐसे इनपुट भी हैं जो यह बताने के लिए काफी हैं कि इंस्पेक्टर पन्नालाल पर कई बड़े लोगों की शह थी और इस रंगदारी से होने वाली कमाई में उसे अच्छा खासा हिस्सा भी मिल रहा था। डीआईजी वैभव कृष्ण के मुताबिक छापेमारी के दौरान रंगदारी मामले का खुलासा होते ही इंस्पेक्टर पन्नालाल को सस्पेंड कर दिया गया और उसके खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया।
इंस्पेक्टर पन्नेलाल गोरखपुर के रहने वाले हैं
चूंकि दरोगा मौके से फरार हो चुका था, इसलिए उसे गिरफ्तार करने के लिए आजमगढ़ एसओजी की एक टीम गोरखपुर के गोला थाना क्षेत्र के भारसी गांव स्थित उसके घर भेजी गई थी। अपने घेरे जाने की खबर मिलते ही आरोपी दरोगा ने एसओजी के सामने हाथ उठाकर सरेंडर कर दिया। बलिया पुलिस के मुताबिक दरोगा पन्नालाल का महकमे में काफी दबदबा था। वह दो साल तक नरही थाने में तैनात रहा। इस दौरान कई सीओ और एसपी बदले। कई थानों के इंस्पेक्टर भी बदले गए, लेकिन किसी ने भी दरोगा पन्नालाल को परेशान करने की कोशिश नहीं की।
2012 में उन्हें सब-इंस्पेक्टर बनाया गया
मूल रूप से गोरखपुर के गोला थाना क्षेत्र के भारसी गांव के रहने वाले इंस्पेक्टर पन्ने लाल वर्ष 2012 बैच में सब इंस्पेक्टर बने और महज पांच साल की सेवा में ही इंस्पेक्टर पद पर पदोन्नत हो गए। कई अन्य थानों में भी उनकी तैनाती रही, लेकिन अगस्त 2022 में उन्हें नरही थाने का प्रभार मिला। तब से लेकर निलंबन तक वह इसी थाने में तैनात रहे। डीआईजी वैभव कृष्ण के मुताबिक नरही थाने में लंबे समय से वसूली का खेल चल रहा था।
सीओ-एसपी पकड़े गए
इसकी जानकारी उन्हें और डीआईजी वाराणसी जोन को मिली। इसके बाद गोपनीय तरीके से नरही थाने में छापेमारी की गई। सूचना सही पाए जाने पर मौके पर दो पुलिसकर्मियों को रंगे हाथ पकड़ लिया गया। साथ ही इन पुलिसकर्मियों की मदद से ट्रक चालकों से मारपीट कर वसूली करने वाले 16 दलालों को गिरफ्तार किया गया। इस मामले में डीआईजी-एडीजी की संस्तुति पर प्रदेश सरकार ने बलिया के तत्कालीन एसपी डीआर वर्मा और सीओ को हटा दिया था।