जानिए 7 चरण के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के लिए किस राज्य में क्या चुनौती

 इस बार का लोकसभा चुनाव सात चरणों में होना है. इस बार बीजेपी और इंडिया यानी इंडिया गठबंधन मैदान में है. इस बार बीजेपी और विपक्षी गठबंधन के सामने सात सीटों पर जीत हासिल करने की बड़ी चुनौती है. इस चुनाव के पहले चरण में बीजेपी को अधिक सीटें जीतनी होंगी तभी सत्ता की वापसी ठीक से हो सकेगी. 

विपक्ष को अधिक सीटें पाने के लिए अधिक से अधिक सीटों का इंतजाम करना होगा

वहीं, अगर विपक्ष दबाव बढ़ाना चाहता है तो पहले चरण में उसे ज्यादा सीटें हासिल करने का इंतजाम भी करना होगा. पहले चरण में राजस्थान और उत्तराखंड वो राज्य हैं जहां बीजेपी को 2014 और 2019 में 100 फीसदी सीटें मिली थीं. अब 2024 में भी इन दोनों राज्यों में 100 फीसदी सीटों की हैट्रिक लगाने की कोशिश करनी होगी. दूसरी ओर, इन राज्यों में दो बार से सत्ता से बाहर विपक्ष के लिए सीटें जीतना भी एक कठिन काम है। पिछले चुनाव में पूर्वोत्तर भारत में बीजेपी का दबदबा था. देखना ये होगा कि इस बार क्या बदलाव आएगा. ठीक उसी तरह, जैसे कांग्रेस और विपक्ष के गढ़ दक्षिण भारत में भी बीजेपी का भगवा लहराएगा.

राजस्थान में बीजेपी के विजयरथ को रोकने के लिए विपक्ष पर दबाव

इस बार पहले चरण में राजस्थान, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, पूर्वोत्तर भारत और मध्य प्रदेश की कुछ सीटों पर चुनाव होने हैं. राजस्थान की 12 सीटें, उत्तराखंड की सभी 5 सीटें, महाराष्ट्र की 5 सीटें, मध्य प्रदेश की 6 सीटें और नॉर्थ ईस्ट की 13 सीटों पर बीजेपी और विपक्ष के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी. पिछली लोकसभा में बीजेपी ने राजस्थान और उत्तराखंड की सभी सीटें जीती थीं. इस बार बीजेपी यहां वापसी की उम्मीद कर रही है. ऐसे में बीजेपी की जीत को रोकने के लिए विपक्ष को दोगुनी मेहनत करनी होगी. गौरतलब है कि उत्तराखंड में बीजेपी को 2014 में 55.9 फीसदी और 2029 में 61.7 फीसदी वोट मिले थे. इसी तरह 2014 और 2019 में राजस्थान में क्रमश: 55.6 और 59 फीसदी वोट मिले. इस बार बीजेपी अलकमान को 70 फीसदी से ज्यादा वोट मिलने की उम्मीद है. इसके लिए बीजेपी की ओर से प्रयास शुरू कर दिए गए हैं. विपक्ष को भी इस स्थिति से निकलने का रास्ता ढूंढना होगा और बीजेपी के गढ़ को ध्वस्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी.

पहले चरण में नॉर्थ ईस्ट की 13 सीटों पर वोटिंग होगी

पूर्वोत्तर में नया परिसीमन लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाएगा, पहले चरण में पूर्वोत्तर की 13 सीटों पर मतदान होगा। इसमें असम की पांच सीटों पर मतदान होना है. नए परिसीमन के मुताबिक असम की पांच सीटों पर पहले चरण में और बाकी 4 सीटों पर तीसरे चरण में मतदान होना है. बात ये है कि 2019 में कांग्रेस ने नॉर्थ-ईस्ट की सीटों में से 4 सीटें जीतीं. असम में नए परिसीमन के बाद हालात बदल गए हैं और सीटें भी बदल गई हैं. इस वजह से नतीजों पर इसका असर देखने को मिल सकता है. इसके अलावा मणिपुर की दो सीटों पर भी मतदान होना है. मणिपुर में भीषण आग जैसे हालात का असर इस बार के मतदान और नतीजों पर जरूर देखने को मिल सकता है.

पश्चिम उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर रोचक जंग

उत्तर प्रदेश इस बार चुनावी रण में बेहद दिलचस्प राज्य साबित होने वाला है. बीजेपी की बात करें तो पिछले लोकसभा चुनाव में सहयोगियों की मदद से बीजेपी ने यहां 80 में से 14 सीटें जीती थीं. इनमें सबसे दिलचस्प सीटें रहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लोकसभा. इस बार पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिन आठ सीटों पर मतदान होना है, वहां पिछले चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए अच्छे नहीं रहे. पिछले साल इन आठ सीटों में से पांच पर बीजेपी हार गई थी. दूसरी बात यह है कि पिछले चुनाव में सपा और बसपा की जुगलबंदी अच्छी नहीं रही थी. उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली. इस बार समीकरण बदले हुए हैं. 2024 में सपा और बसपा दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ने जा रहे हैं. पिछले चुनाव में सपा के साथ रही रालोद इस बार भाजपा के साथ है। इन बदले हुए समीकरणों के जरिए ही बीजेपी इस साल यूपी में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर कब्जा करने की ओर अग्रसर है।