झारखंड में सियासी भूचाल जानिए अगर BJP और JMM साथ आए तो किसका होगा फायदा और किसका नुकसान

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News India Live, Digital Desk : कहते हैं कि "राजनीति संभावनाओं का खेल है." यहाँ कल का कट्टर दुश्मन, आज जिगरी यार बन सकता है। आजकल झारखंड के सियासी गलियारों में एक सुगबुगाहट बहुत तेज है क्या भारतीय जनता पार्टी (BJP) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) हाथ मिला सकते हैं?

सुनने में यह थोड़ा अजीब लगता है, क्योंकि दोनों पार्टियां विचारधारा के स्तर पर उत्तर और दक्षिण ध्रुव (Poles) जैसी हैं। एक तरफ हेमंत सोरेन की JMM है जो 'आदिवासी अस्मिता' की बात करती है, और दूसरी तरफ बीजेपी है जिसका राष्ट्रवाद का अलग एजेंडा है। लेकिन अगर बिहार में नीतीश कुमार कभी भी यू-टर्न ले सकते हैं, तो झारखंड में यह क्यों नहीं हो सकता?

आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि अगर यह 'अनोखा गठबंधन' होता है, तो दोनों पार्टियों को क्या मिलेगा और उन्हें क्या खोना पड़ सकता है।

गठबंधन हुआ तो 'फायदा' क्या होगा? (Pros)

  1. सत्ता की स्थिरता (Stability): सबसे बड़ा फायदा जेएमएम को होगा। केंद्र में बीजेपी की सरकार है। अगर राज्य में भी डबल इंजन लग जाए, तो विकास कार्यों के लिए फंड की कोई कमी नहीं रहेगी। बार-बार सरकार गिरने का डर खत्म हो जाएगा।
  2. जांच एजेंसियों से राहत? यह चर्चा दबी जुबान में हर कोई करता है। हेमंत सोरेन पर ईडी (ED) और जांच एजेंसियों का भारी दबाव है। बीजेपी के साथ जाने से सियासी तौर पर यह दबाव कम हो सकता है, जैसा हमने अन्य राज्यों में देखा है।
  3. बीजेपी की आदिवासी वोट में एंट्री: बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती आदिवासी वोट बैंक रहा है। अगर वह जेएमएम के साथ आती है, तो उसकी सीधी पहुंच उन आदिवासी इलाकों तक हो जाएगी, जहाँ वह अब तक संघर्ष कर रही थी।

गठबंधन हुआ तो 'नुकसान' क्या होगा? (Cons)

  1. कोर वोटर का भरोसा टूटेगा: यह सबसे बड़ा खतरा है। JMM का वोटर बीजेपी को आदिवासी विरोधी मानता रहा है और बीजेपी का वोटर जेएमएम को भ्रष्टाचार से जोड़ता है। अगर ये दोनों मिल गए, तो जमीन पर कार्यकर्ता और वोटर खुद को "ठगा हुआ" महसूस करेंगे। उन्हें लगेगा कि सिर्फ कुर्सी के लिए सिद्धांत बेच दिए गए।
  2. INDIA गठबंधन को झटका: हेमंत सोरेन अब तक विपक्षी एकता का बड़ा चेहरा रहे हैं। अगर वो बीजेपी के साथ गए, तो राष्ट्रीय स्तर पर उनकी "विद्रोही और फाइटर" वाली छवि मिट्टी में मिल जाएगी।
  3. भविष्य का खतरा: इतिहास गवाह है कि बीजेपी जिस छोटी पार्टी (Regional Party) के साथ गठबंधन करती है, धीरे-धीरे उस राज्य में उसे ही खा जाती है (जैसे महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ हुआ)। जेएमएम के लिए यह दोस्ती "शेर की सवारी" करने जैसी होगी, जहाँ उतरना मुश्किल होगा।

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