प्रयागराज, 04 दिसम्बर (हि.स.)। परी अखाड़ा की प्रमुख त्रिकाल भवंता ने विश्व की प्रथम पांच भाषाओं में श्रीमद्भागवद् कथा करने वाली किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी मां को आज जगद्गुरु पद पर पट्टाभिषेक और तिलक किया गया। यह कार्यक्रम परी अखाड़ा के आश्रम अरैल में सम्पन्न हुआ।
परी अखाड़ा में बुधवार को पट्टाभिषेक व सनातन हिन्दू जोड़ो यात्रा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें परी अखाड़ा की प्रमुख त्रिकाल भवंता ने विश्व की प्रथम किन्नर भगवताचार्य महामंडलेश्वर स्वामी हिमांगी सखी माँ का पट्टाभिषेक कर जगद्गुरु की उपाधि दी। इस मौके पर जगद्गुरु स्वामी हिमांगी सखी मां ने कहा कि नारी की रक्षा के लिए सदैव काम करती रहूंगी। नारी की सुरक्षा और रक्षा के लिए संत महात्माओं को भी आगे आना होगा, क्योंकि नारी शक्ति के बिना इस पृथ्वी पर कुछ सम्भव नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे जगद्गुरु की जो उपाधि दी गई है, मैं उसकी गरिमा को बनाए रखते हुए कार्य करूंगी।
पट्टाभिषेक और तिलक कार्यक्रम के बाद नए पुल के नीचे स्थित परी अखाड़ा से हिन्दू जोड़ो यात्रा निकाली गई। जो लेप्रसी चौराहे से नए पुल के रास्ते होते हुए अलोपी मंदिर व संगम क्षेत्र रवाना हो गई।
परी अखाड़ा की प्रमुख त्रिकाल भवंता ने कहा कि पूरे विश्व, मानव समाज एवं सनातन धर्मियों को जोड़ने, धर्म की रक्षा के लिए जगद्गुरू की उपाधि दी जा रही है। परी अखाड़ा समाज में सभी का कल्याण एवं नवनिर्माण करेगा। कार्यक्रम के आयोजक भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ श्याम प्रकाश द्विवेदी ने बताया की परी अखाड़ा यात्रा की शुरुआत कर सनातनी हिन्दुओं को जोड़ने का काम करेगी।
उल्लेखनीय है कि विश्व की प्रथम पांच भाषाओं में श्रीमद्भागवद् कथा का प्रवचन करने वाली किन्नर महामंडलेश्वर स्वामी हिमांगी सखी मां है। जो सनातन धर्म के उत्थान और लोगों को जोड़ने के लिए कई वर्ष से व्यापक स्तर पर देश, विदेश में कार्य कर रही हैं।