किडनी की बीमारी से मस्तिष्क की नसों में रक्त का जम सकता है थक्का

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किडनी की समस्याएँ न केवल स्वास्थ्य के लिए ख़तरा हैं, बल्कि इनसे स्ट्रोक का ख़तरा भी बढ़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा, मोटापा और असामान्य कोलेस्ट्रॉल जैसे चयापचय जोखिम कारक किडनी की बीमारी से जुड़े हैं, जो नसों में रक्त परिसंचरण को प्रभावित करते हैं और स्ट्रोक का कारण बनते हैं।

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पीएन रेनजेन ने आईएनएस को बताया कि क्रोनिक किडनी डिजीज (सीडीके) के मरीजों में स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, किडनी फेलियर वाले व्यक्तियों में दिल का दौरा या स्ट्रोक होने की संभावना अधिक होती है, जिससे उनकी मृत्यु का जोखिम भी बढ़ जाता है।

सी.डी.के. और स्ट्रोक का संबंध

सी.के.डी. वाले रोगियों में, कम ग्लोमेरुलर निस्पंदन दर (जी.एफ.आर.) स्ट्रोक के जोखिम को 40 प्रतिशत तक बढ़ा देती है। इसके अतिरिक्त, प्रोटीनुरिया, जिसे मूत्र में अतिरिक्त प्रोटीन के रूप में पहचाना जाता है, इस जोखिम को लगभग 70 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है। डॉ. रेनजेन ने कहा कि सी.के.डी., मेटाबोलिक सिंड्रोम (मेट्स) और स्ट्रोक के बीच संबंध जटिल और महत्वपूर्ण है। मेटाबोलिक सिंड्रोम में मोटापा, उच्च रक्तचाप, डिस्लिपिडेमिया और इंसुलिन प्रतिरोध जैसी स्थितियाँ शामिल हैं, जो सी.के.डी. और स्ट्रोक के लिए प्रमुख जोखिम कारक बन जाते हैं।

शोध परिणाम

शोध से यह भी पता चला है कि मेटाबोलिक सिंड्रोम वाले व्यक्तियों में सी.के.डी. विकसित होने का जोखिम 50 प्रतिशत अधिक होता है। डॉ. रेनजेन ने कहा, “इन स्थितियों को जोड़ने वाले तंत्रों में ऑक्सीडेटिव तनाव, सूजन और एंडोथेलियल डिसफंक्शन शामिल हैं, जो किडनी के कार्य को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाते हैं।”

क्रोनिक सूजन और इंसुलिन प्रतिरोध

पीडी हिंदुजा अस्पताल में न्यूरोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. दर्शन दोशी ने  इस बात पर जोर दिया कि क्रोनिक सूजन और इंसुलिन प्रतिरोध स्ट्रोक और मेटाबोलिक सिंड्रोम के बीच संबंध को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने बताया कि मेटाबोलिक सिंड्रोम वाले व्यक्तियों में अक्सर स्ट्रोक का जोखिम अधिक होता है, और क्रोनिक किडनी रोग वाले रोगियों में यह जोखिम और भी अधिक होता है, खासकर डायलिसिस पर रहने वाले रोगियों में।

जोखिम कम करने के उपाय

विशेषज्ञों ने लोगों को अपनी जीवनशैली में बदलाव करने की सलाह दी है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और स्वस्थ वजन बनाए रखने से रक्तचाप, शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। ये उपाय न केवल किडनी को स्वस्थ रखने में मददगार हैं, बल्कि स्ट्रोक के जोखिम को भी कम कर सकते हैं।