खनौरी बॉर्डर: 111 किसानों का सामूहिक आमरण अनशन, एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए संघर्ष जारी

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खनौरी बॉर्डर पर किसानों ने बुधवार से सामूहिक आमरण अनशन शुरू करने का ऐलान किया है। इस अनशन में 111 किसान शामिल होंगे, जो अपनी मांगें पूरी होने तक आमरण अनशन पर डटे रहेंगे। किसान काले कपड़े पहनकर पुलिस बैरिकेडिंग के पास दोपहर 2 बजे से बैठेंगे। खास बात यह है कि इस जत्थे में शामिल किसानों को किसी अन्य किसान से बदला नहीं जाएगा।

किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि केंद्र सरकार के सख्त रवैये से दुखी होकर सामूहिक अनशन का फैसला लिया गया है। किसानों का कहना है कि वे अपने नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को तिल-तिल मरते हुए नहीं देख सकते। हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के समर्थन को लेकर अब तक कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है।

किसानों के संघर्ष की वजह

  • जगजीत सिंह डल्लेवाल 50 दिनों से आमरण अनशन पर हैं।
  • उनकी मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी दी जाए।
  • किसानों का कहना है कि उनके पास अब सामूहिक अनशन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

राकेश टिकैत, किसान नेता, ने कहा:
“यह फैसला दुखी होकर लिया गया है। केंद्र सरकार का रवैया किसानों के प्रति बेहद निराशाजनक है।”

प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती

सामूहिक आमरण अनशन के ऐलान से प्रशासनिक अधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग के लिए नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।

  • तैयारियां:
    • अनशन पर बैठे किसानों की सेहत की निगरानी के लिए डॉक्टरों की नई टीमों को तैनात किया जाएगा।
    • जिला प्रशासन ने जरूरी व्यवस्थाओं की तैयारी शुरू कर दी है।

जगजीत सिंह डल्लेवाल की स्वास्थ्य स्थिति

  • डल्लेवाल का आमरण अनशन मंगलवार को 50वें दिन भी जारी रहा।
  • डॉक्टरों की टीम ने उनकी तबीयत का जायजा लिया और ब्लड सैंपल लिए।
  • एसएसपी पटियाला नानक सिंह ने बताया:
    • डल्लेवाल की सेहत कमजोर हो रही है, और वह अब ठीक से बोलने में भी असमर्थ हैं।
    • उनकी ब्लड रिपोर्ट अगले 24 घंटे में आएगी।

किसानों की रणनीति

  • किसानों का कहना है कि यदि उनका नेता 50 दिन भूखा-प्यासा रह सकता है, तो वे भी अपने नेता के दिखाए रास्ते पर चलने से पीछे नहीं हटेंगे।
  • संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने सामूहिक अनशन के लिए 111 किसानों की सूची तैयार कर ली है।

आंदोलन का संभावित प्रभाव

  • किसानों का यह कदम केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा सकता है।
  • प्रशासन के लिए अनशन पर बैठे किसानों की सेहत और कानून व्यवस्था बनाए रखना बड़ी चुनौती होगी।
  • एमएसपी की कानूनी गारंटी का मुद्दा एक बार फिर से राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गया है।