केरल की मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन ने अपने सांवले रंग पर सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों का करारा जवाब दिया है। उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में बताया कि कैसे बचपन से लेकर अब तक उन्हें अपने रंग को लेकर अपमानजनक टिप्पणियों और पूर्वाग्रहों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने लिखा, “मैं 50 साल से अधिक समय से इस कहानी के तले दबी रही हूं कि मेरा रंग अच्छा नहीं है। अब वक्त आ गया है कि इन पूर्वाग्रहों का जवाब दिया जाए।”
सोशल मीडिया पर उठी बहस
उनकी पोस्ट ने लिंग और नस्लीय पूर्वाग्रह को लेकर सोशल मीडिया पर एक नई बहस छेड़ दी। उन्होंने बताया कि बचपन में उन्हें कमतर महसूस कराया गया था, लेकिन उनके बच्चों ने उन्हें यह एहसास कराया कि सांवला रंग भी खूबसूरत होता है।
पति से की गई तुलना और कड़ी प्रतिक्रिया
शारदा मुरलीधरन ने सितंबर 2024 में केरल के मुख्य सचिव का पद संभाला। इससे पहले उनके पति वी वेणु इस पद पर थे, जो 31 अगस्त 2024 को रिटायर हुए।
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जब उन्होंने पदभार ग्रहण किया, तो उनके रंग को लेकर सोशल मीडिया पर टिप्पणियां की गईं, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया।
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हाल ही में एक अनाम यूजर ने उनके और उनके पति के रंग की तुलना करते हुए टिप्पणी की, जिससे शारदा आहत हुईं।
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उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा, “कल एक दिलचस्प टिप्पणी सुनी कि मैं उतनी ही काली हूं, जितना कि मेरे पति का रंग गोरा था।”
पोस्ट हटाई, फिर दोबारा लिखी
पहले उन्होंने अपनी पोस्ट हटा दी, लेकिन फिर से पोस्ट साझा करते हुए लिखा, “मैं प्रतिक्रियाओं की झड़ी से घबरा गई थी, लेकिन कुछ शुभचिंतकों ने कहा कि इस पर चर्चा होनी चाहिए। इसलिए, मैं इसे फिर से पोस्ट कर रही हूं।”
उन्होंने लिखा,
“काला वही करता है जो काला है। लेकिन काले रंग को क्यों बदनाम किया जाना चाहिए? काला ब्रह्मांड का सर्वव्यापी सत्य है। यह वह रंग है जो किसी भी चीज को अवशोषित कर सकता है, सबसे शक्तिशाली ऊर्जा नाड़ी है, और यह हर किसी पर फबता है।”
बचपन की एक यादगार घटना
उन्होंने बताया कि जब वह चार साल की थीं, तो उन्होंने अपनी मां से पूछा था, “क्या आप मुझे दोबारा गर्भ में रखकर गोरा और सुंदर बना सकती हैं?”
उन्होंने स्वीकार किया कि समाज ने उन्हें यकीन दिलाया कि उनका रंग अच्छा नहीं है। लेकिन अब वह इस सोच को बदलने के लिए आगे आई हैं।
कौन हैं शारदा मुरलीधरन?
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1990 बैच की आईएएस अधिकारी।
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सितंबर 2024 में केरल की मुख्य सचिव बनीं।
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कुदुम्बश्री मिशन (2006-2012) की प्रमुख रहीं, जिसका उद्देश्य महिलाओं का सशक्तिकरण और गरीबी उन्मूलन था।
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भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय में कार्य किया (2012-2013)।
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पंचायती राज मंत्रालय में संयुक्त सचिव (2014-2016), जहाँ उन्होंने ग्राम पंचायत विकास योजना को बढ़ावा दिया।
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त्रिवेंद्रम की जिलाधिकारी सहित कई प्रशासनिक पदों पर कार्य कर चुकी हैं।
संदेश: आत्मसम्मान और सामाजिक पूर्वाग्रहों को तोड़ने की पहल
शारदा मुरलीधरन की पोस्ट ने सौंदर्य के सामाजिक मानकों और नस्लीय भेदभाव पर सवाल उठाए हैं। उनकी बेबाक प्रतिक्रिया ने न केवल महिलाओं बल्कि पूरे समाज को आत्मसम्मान और आत्मस्वीकृति का संदेश दिया है।