अदानी रिश्वत मामला: केन्या के राष्ट्रपति विलियम रुतो ने देश को संबोधित करते हुए भारतीय कंपनी अदानी ग्रुप के साथ सभी अनुबंध रद्द करने की घोषणा की है। इस अनुबंध के तहत बिजली पारेषण और हवाईअड्डा क्षेत्र जैसी प्रमुख परियोजनाएं शामिल थीं। केन्याई सरकार ने अडानी समूह के साथ 700 मिलियन डॉलर का बिजली पारेषण सौदा रद्द कर दिया है। यह डील देश में बिजली ट्रांसमिशन के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने को लेकर थी. इसके अलावा अडानी ग्रुप का 1.8 बिलियन डॉलर, जो एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट साइट के लिए था, उसे भी रद्द कर दिया गया है.
रिश्वतखोरी के आरोप किस कारण लगे?
अडानी ग्रुप पर हाल ही में अमेरिका में रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगे हैं। इन आरोपों के बाद केन्या सरकार ने यह कदम उठाया है. राष्ट्रपति रुटो ने कहा, ‘उनकी सरकार पारदर्शिता और ईमानदारी के सिद्धांतों पर काम करती है और ऐसे समझौतों को मंजूरी नहीं देगी जो देश की छवि और हितों के खिलाफ हों.
राष्ट्रपति रुटो का वक्तव्य
राष्ट्रपति रुटो ने अपने भाषण में कहा, ‘हम ऐसे किसी भी समझौते को स्वीकार नहीं करेंगे जो हमारे देश की नीतियों और मूल्यों के खिलाफ हो.’ यह देखना दिलचस्प होगा कि केन्या सरकार के इस फैसले का देश की विकास योजनाओं पर क्या असर पड़ेगा। अब सभी की निगाहें अडानी समूह की प्रतिक्रिया और केन्याई सरकार के अगले कदम पर हैं।
अमेरिकी अदालत में पेश अभियोग के मुख्य अंश
– वर्ष 2020 और 2024 के बीच, अडानी ने भारत सरकार से सौर ऊर्जा अनुबंध प्राप्त करने के लिए अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने पर सहमति व्यक्त की। फिर एक भारतीय अधिकारी से मुलाकात हुई. योजना के लिए सागर अडानी और विनीत ने बैठक की.
– बाद में रिश्वत वसूलने के लिए अडानी ने अमेरिकी निवेशकों से अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड कॉन्ट्रैक्ट के नाम पर तीन अरब डॉलर का फंड जुटाया।
– बाद में एफबीआई और यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन की जांच को भी रोकने की कोशिश की। योजना से जुड़े ईमेल, संदेश और विश्लेषण हटा दिए गए।
– संक्षेप में कहें तो अडानी ने सौर ऊर्जा परियोजना में ठेका पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को अरबों रुपये की रिश्वत देने का वादा किया था। बाद में उसने अमेरिका में निवेशकों से झूठ बोलकर फंड जुटाया। बाद वाले ने जांच में बाधा डालने की भी कोशिश की।