ऋषिकेश एम्स में कत्थक नृत्य कार्यक्रम का आयोजन

ऋषिकेश, 10 मई (हि.स.)। ऋषिकेश एम्स में मेडिकल ह्यूमैनिटी विभाग के तत्वावधान में स्पीक मैके संस्था का कत्थक नृत्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान कलाकारों की शानदार शास्त्रीय प्रस्तुतियों को उपस्थित दर्शकों ने खूब सराहा।

एम्स ऑडिटोरियम में आयोजित स्पीक मैके संस्था के कत्थक नृत्य कार्यक्रम का संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि चिकित्सकीय पेशा के दौरान और मेडिकल की पढ़ाई में अत्यधिक स्ट्रेस होता है, ऐसे में स्टूडेंट्स एवं चिकित्सकों के वेलनेस तथा उन्हें संस्कृति से रूबरू कराने के लिए संस्थान में समय समय पर इस तरह के रचनात्मक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

कार्यक्रम के दौरान स्पीक मैके की प्रस्तुति के तहत नृत्यांगना डॉ. उमा शर्मा व उनके शागिर्दगी में अन्य शास्त्रीय कलाकारों ने कत्थक नृत्य एवं अभिनय से जुड़ी विविध प्रस्तुतियों से उपस्थित दर्शकों की भरपूर तालियां बटोरीं।

इस दौरान संस्कृति से ओतप्रोत भारतीय शास्त्रीय प्रस्तुतियों को सभागार में मौजूद मेडिकल व नर्सिंग विद्यार्थियों, चिकित्सकों, फैकल्टी सदस्यों, अधिकारियों एवं स्टाफ मेंबर्स ने खूब सराहा। डॉ. उमा शर्मा, सह नृत्यांगना सुकृति व अनुष्का दत्ता गुप्ता की शानदार कत्थक नृत्य एवं अभिनय प्रस्तुतियों को कुनाल मुखर्जी ने शास्त्रीय गायन, तबला वादक मुबारक खान व सितार वादक खालिद मुस्तफा ने बेहतरीन संगत देकर यादगार बना दिया।

इस दौरान डॉ. उमा ने स्टूडेंट्स की कत्थक नृत्य के प्रति अभिरुचि बढ़ाने के लिए इस विधा के इतिहास, विकास यात्रा, कत्थक में भाव व नृत्य शैली पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हममें अपनी आजीविका के संसाधनों से जुड़ने के इतर सांस्कृतिक विधाओं में भी रुचि होनी चाहिए।

एम्स में स्पीक मैके कार्यक्रम की समन्यवक प्रो. गीता नेगी और एसोसिएट डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. वंदना धींगरा ने बताया कि एम्स संस्थान में स्टूडेंट्स व चिकित्सकों के वैलनेस के लिए वर्ष- 2017 से सततरूप से समय समय पर इस तरह के सांस्कृतिक आयोजन किए जाते रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुछ समय से केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की ओर से एम्स, आईआईटी जैसे संस्थानों में इस तरह के रचनात्मक कार्यक्रमों के आयोजन को अनिवार्य कर दिया गया है। जिससे इन संस्थानों से जुड़े लोग सांस्कृतिक अभिरुचि के साथ साथ स्ट्रैस से दूर रह सकें।