Karwa Chauth In Pregnancy: क्या प्रेग्नेंसी में रखना चाहिए करवा चौथ का व्रत? जानें एक्सपर्ट की राय

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करवा चौथ भारतीय संस्कृति का एक खास और महत्वपूर्ण त्यौहार है, जिसे विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए मनाती हैं। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चांद दिखने तक बिना पानी और भोजन के व्रत रखती हैं। हालांकि, जब बात गर्भवती महिलाओं की आती है, तो सवाल उठता है कि क्या गर्भावस्था के दौरान करवा चौथ का व्रत रखना सुरक्षित है?

विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान पूरे दिन उपवास करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। गर्भवती महिला और उसके होने वाले बच्चे को नियमित पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है और उपवास करने से इनमें कमी हो सकती है। पोषण विशेषज्ञ और स्त्री रोग विशेषज्ञों का मानना ​​है कि बिना भोजन और पानी के रहने से गर्भवती महिला के शरीर में पोषण की कमी, शुगर लेवल में गिरावट और डिहाइड्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ये स्थितियां भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकती हैं और समय से पहले प्रसव या बच्चे के कम वजन के जन्म की संभावना को बढ़ा सकती हैं।

विशेषज्ञ का बयान

गुड़गांव के नीमराणा हॉस्पिटल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रतिभा मिश्रा के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से पौष्टिक भोजन खाने की ज़रूरत होती है। लंबे समय तक बिना खाए रहने से डिहाइड्रेशन, ग्लूकोज की कमी और अन्य समस्याएं हो सकती हैं, जो माँ और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकती हैं।

स्वास्थ्य बनाम परंपरा: क्या अधिक महत्वपूर्ण है?

करवा चौथ व्रत का हमारी परंपराओं में गहरा महत्व है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान महिला और शिशु के स्वास्थ्य को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाना चाहिए। ऐसे समय में गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की सलाह दी जाती है। कई विशेषज्ञों का मानना ​​है कि गर्भवती महिलाओं को व्रत रखने के बजाय त्योहार की रस्मों में हिस्सा लेकर उत्सव का आनंद लेना चाहिए। इस दौरान महिलाएं व्रत रखने के बजाय उत्सव में हिस्सा ले सकती हैं और सरगी जैसे पौष्टिक भोजन का सेवन कर सकती हैं।

गर्भावस्था के दौरान उपवास पर सलाह: क्या करें और क्या न करें?

यदि किसी गर्भवती महिला को उपवास रखने की अनुमति है, तो उसे कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतनी चाहिए:

* शरीर के संकेतों को सुनें और जरूरत महसूस होने पर तुरंत उपवास तोड़ दें।

* सरगी के समय संतुलित और पौष्टिक आहार लें, जिसमें पनीर, दही, दलिया और दाल शामिल हों।

* खूब पानी पीते रहें और शरीर को हाइड्रेटेड रखें।

* उपवास करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें।