धमतरी, 15 नवंबर (हि.स.)। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर 15 नवंबर को शहर में जैन समाज द्वारा बारघोड़ा (शोभायात्रा) निकाली गई। शोभायात्रा में काफी संख्या में समाजजन शामिल हुए।
उपाध्याय प्रवर संत महेंद्र सागर, संत मनीष सागर, संत विशुद्ध सागर ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा ये पावन दिन तीन कारणों से महत्वपूर्ण है। पहला कारण आज ही आषाढी चातुर्मास का समापन होता है। आज के बाद साधु संतों का विहार पुनः प्रारंभ हो जाता है। आज के दिन से शत्रुंजय गिरिराज अर्थात शाश्वत तीर्थ पालीताणा की यात्रा भी पुनः प्रारंभ होती है।
दूसरा कारण आज के ही दिन द्राविड़ और वारिखिल्ल मुनि 10 करोड़ मुनियों के साथ पालीताणा तीर्थराज से मोक्ष पधारे थे। तीसरा कारण 12 वीं शताब्दी के महान संत और विद्वान श्रीमद हेमचंद्राचार्य की जयंती के रूप में आज के दिन को मनाया जाता है। यह दिन अत्यंत ही पावन है। हमें परमात्मा से जुड़ने के लिए निर्वाण प्राप्त करने के उद्देश्य से तप त्याग, आराधना साधना जरूर करना चाहिए। पालीताणा गिरिराज का कण-कण वंदनीय है। क्योंकि उस पावन भूमि से अनंत आत्माओं ने सिद्धि प्राप्त की है। अतः हमें भी वहां जाकर आराधना करना चाहिए। हो सके तो कम से कम भाव यात्रा जरूर करना चाहिए।
इस अवसर पर भंवरलाल छाजेड़, विजय गोलछा, अशोक पारख, प्रदीप गोलछा, मोहन गोलछा, अनोप राखेचा, लक्ष्मीलाल लूनिया, मोतीलाल चोपड़ा, नरेंद्र बरडिया, कुशल चोपड़ा, कमल राखेचा, भव्य बरडिया, प्रतीक बैद, मोहित छाजेड़ सहित बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित रहे।