Karnataka RSS controversy : ऐसी जहरीली विचारधारा से, कर्नाटक के RSS विवाद में कूदे उदित राज; बिहार चुनाव से क्या है कनेक्शन?
News India Live, Digital Desk: Karnataka RSS controversy : राजनीति में जो दिखता है, कई बार कहानी उससे कहीं गहरी होती है. ऐसा ही कुछ इन दिनों कर्नाटक और बिहार की राजनीति को लेकर देखने को मिल रहा है. कर्नाटक में जहां कांग्रेस सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर सख्त रुख अपना रही है, वहीं कांग्रेस नेता उदित राज के एक बयान ने इस पूरे मामले को बिहार चुनाव से जोड़ दिया है.
कर्नाटक में आखिर हो क्या रहा है?
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि कर्नाटक में RSS को लेकर विवाद क्यों हो रहा है. कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने फैसला किया है कि सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में RSS की शाखाएं या गतिविधियां नहीं होने दी जाएंगी. सरकार का कहना है कि किसी भी सरकारी जगह का इस्तेमाल कोई संगठन अपने प्रचार के लिए नहीं कर सकता. इसको लेकर कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे काफी मुखर रहे हैं और उन्होंने RSS पर बैन लगाने तक की मांग की है.मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी RSS को संविधान विरोधी तक कहा है
उदित राज ने क्या कहा?
इस पूरे विवाद में अब कांग्रेस के मुखर नेता उदित राज भी कूद पड़े हैं. उन्होंने RSS की विचारधारा को "जहरीली" बताते हुए उस पर तीखा हमला बोला है. उदित राज ने पहले भी RSS को एक "आतंकवादी संगठन" कहा है और आरोप लगाया है कि इसने देश को बांटने का काम किया है उन्होंने कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियांक खड़गे के उस बयान का भी समर्थन किया जिसमें RSS की सोच की तुलना तालिबान से की गई थी.उदित राज का कहना है कि दोनों में कोई अंतर नहीं है.
तो फिर इसका बिहार चुनाव से क्या लेना-देना?
अब सवाल उठता है कि कर्नाटक की इस लड़ाई का बिहार में होने वाले चुनाव से क्या संबंध है? दरअसल, राजनीतिक जानकार इसे कांग्रेस की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं. भले ही उदित राज ने सीधे तौर पर बिहार का नाम न लिया हो, लेकिन इशारा साफ है.
- वोटों का ध्रुवीकरण: उदित राज जैसे नेताओं के जरिए कांग्रेस दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यक वोटों को एक साथ लाने की कोशिश कर रही है. जब वो RSS पर दलित और महिला विरोधी होने का सवाल उठाते हैं (जैसे RSS का प्रमुख कोई दलित या महिला क्यों नहीं बनता?), तो इसका सीधा असर इन समुदायों पर पड़ता है.
- जातिगत जनगणना से जुड़ाव: यह विवाद कांग्रेस के जातिगत जनगणना और 50% आरक्षण की सीमा खत्म करने वाले मुद्दे को भी हवा देता है. बिहार की राजनीति में जाति एक बहुत बड़ा फैक्टर है. RSS पर हमला करके कांग्रेस चुनाव को 'अगड़े बनाम पिछड़े' और 'सामाजिक न्याय की लड़ाई' का रूप देने की कोशिश कर रही है.
साफ है कि कर्नाटक में जो हो रहा है, वह सिर्फ एक राज्य का मामला नहीं है. यह कांग्रेस की उस बड़ी रणनीति का हिस्सा है, जिसका असली असर वह बिहार जैसे महत्वपूर्ण राज्य के चुनाव में देखना चाहती है.
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