कारगिल युद्ध ऐसा जिसमें सेना और नेताओं दोनों ने जीत हासिल की: धूमल

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हमीरपुर, 26 जुलाई (हि.स.)। भारतीय सेना के वीर सैनिकों ने कई युद्ध जीते हैं, लेकिन राजनीतिक नेताओं ने टेबल पर हार दिए। कारगिल युद्ध एक ऐसा युद्ध था जिसमें हमारी सेना ने भी जीत का स्वाद चखा और हमारे नेताओं ने भी युद्ध जीता। इसीलिए इस जीत को याद करने के लिए विजय दिवस मनाया जाता है। वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने वीरवार को कारगिल विजय दिवस समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए यह बात कही।

पूर्व मुख्यमंत्री ने इस मौके पर शहीदों के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और उन्हें श्रद्धांजलि दी।

धूमल ने कहा कि हमारे वीर सैनिकों ने प्रथम विश्व युद्ध, द्वितीय विश्व युद्ध, और तृतीय विश्व युद्ध में भारतीय सेवा की प्रतिभा का लोहा मनवाया। 1948 में हम युद्ध जीते, लेकिन मामला संयुक्त राष्ट्र संघ में चला गया और जो फौज ने जीता था, वह हमारे नेताओं ने हार दिया। 1962 के युद्ध में नेता ने रोते हुए कहा कि हमारे देश के हाथ से नॉर्थ ईस्ट जा रहा है। 1965 का युद्ध जीतने के बाद हाजी पीर का दर्रा भी जीत लिया जो बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन ताशकंद के टेबल पर हार गए। 1971 में युद्ध जीतने के बाद शिमला की टेबल पर हार गए और 93000 सैनिक छोड़ दिए। इतने सारे युद्ध हमने जीते, लेकिन विजय दिवस कभी नहीं मनाया। लेकिन जब हमने कारगिल युद्ध जीता तब से हमने विजय दिवस मनाना शुरू किया क्योंकि यह युद्ध हमारी सेना ने भी जीता और हमारे नेताओं ने भी जीता।

पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय सेना ने हमेशा से ही अपने अद्वितीय साहस और समर्पण का परिचय दिया है। हमारे सैनिकों ने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्यों का निर्वाह किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना के साहस और समर्पण की कहानियां हमें प्रेरणा देती हैं और हमारे भीतर देशभक्ति की भावना को और मजबूत करती हैं।

उन्होंने आगे कहा कि कारगिल युद्ध में विजय केवल सैनिकों की ही नहीं बल्कि पूरे देश की विजय थी। इस विजय ने हमें यह सिखाया कि एकजुट होकर हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। इस विजय दिवस पर हमें अपने सैनिकों की वीरता को नमन करते हुए उनके योगदान को हमेशा याद रखना चाहिए।