Kanpur Ghazi : यूपी पुलिस का जवान कैसे बना SP नेता? कानपुर ग़ाज़ी की अनसुनी कहानी आपको हैरान कर देगी

Post

News India Live, Digital Desk: राजनीति में अक्सर ऐसे किस्से सुनने को मिलते हैं, जहाँ कोई अपना पेशा बदलकर समाज सेवा या सत्ता की रेस में उतर जाता है. ऐसा ही एक दिलचस्प वाकया उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में सामने आया है, जहाँ कानपुर के ग़ाज़ी (Kanpur Ghazi) नाम के एक शख्स ने पहले यूपी पुलिस (UP Police) की नौकरी छोड़कर इस्लाम (Islam) के प्रचार-प्रसार का रास्ता चुना और फिर, राजनैतिक गलियारों में आकर पहले असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी से जुड़े और अब हाल ही में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party - SP) का दामन थाम लिया है. यह उनके सफर का एक अनोखा मोड़ है, जिस पर सभी की निगाहें हैं.

दरअसल, ग़ाज़ी (Ghazi) पहले पुलिस फ़ोर्स में थे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 2020 में उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग से इस्तीफा दे दिया था. उनका यह कदम इस्लाम को बढ़ावा देने और मुस्लिम समाज के लिए काम करने की अपनी इच्छा को लेकर था. इस दौरान उन्होंने धर्म से जुड़ी बातों और समाज के मुद्दों पर अपनी सक्रियता दिखाई. बाद में, जब उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया, तो शुरुआत में उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen - AIMIM) का दामन थामा. ओवैसी की पार्टी भी अल्पसंख्यक वोटों (Minority votes) पर खास फोकस करती है, और ऐसे में ग़ाज़ी का जुड़ना उस समय चर्चा का विषय था.

लेकिन अब, उन्होंने एक और बड़ा कदम उठाते हुए समाजवादी पार्टी में अपनी नई पारी शुरू की है. ग़ाज़ी का यह पार्टी बदलना दिखाता है कि वह राजनीति में अपनी राहें तलाश रहे हैं. अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की अगुवाई वाली सपा भी अल्पसंख्यक वोट बैंक (Minority vote bank) को अपनी रीढ़ मानती है, खासकर मुस्लिम वोटों पर उसकी मजबूत पकड़ रही है. ऐसे में, कानपुर ग़ाज़ी का सपा में शामिल होना, खासकर ओवैसी की पार्टी से आकर, निश्चित रूप से सियासी हलकों में कई सवालों को जन्म दे रहा है. अब देखना यह है कि यह नया समीकरण उनके और समाजवादी पार्टी दोनों के लिए कितना फायदेमंद साबित होता है.

--Advertisement--