रक्षा क्षेत्र में भारत की ताकत बढ़ रही है। चाहे वह सेना विंग हो या नौसेना। तो चलिए आज बात करते हैं एक ऐसी खतरनाक मिसाइल की जो आधी दुनिया को तबाह करने की ताकत रखती है। के-5 मिसाइल को भविष्य में भारतीय नौसेना की नई अरिहंत श्रेणी की परमाणु ऊर्जा चालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी एस-4 में स्थापित किया जाएगा। यह ध्यान देने योग्य बात है कि भारतीय नौसेना में कई K श्रृंखला की मिसाइलें तैनात हैं। उनमें से कुछ पनडुब्बियों में और कुछ युद्धपोतों में तैनात हैं।
इस मिसाइल की रेंज कितनी है?
इस मिसाइल की रेंज इतनी है कि अगर इसे हिंद महासागर से प्रक्षेपित किया जाए तो ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, चीन, रूस, मध्य पूर्व और यूरोप सभी इसकी जद में आ जाएंगे। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस मिसाइल से चीन और पाकिस्तान के बीच स्थिति और खराब हो जाएगी।
पनडुब्बी से प्रक्षेपित की जाने वाली यह मिसाइल 5 से 6 हजार किलोमीटर तक वार करने में सक्षम होगी। इसका मतलब यह है कि यह समुद्र में रहते हुए भी पूरे देश की सुरक्षा करने में सक्षम होगा। भारतीय नौसेना की पनडुब्बियों में स्थापित की जाने वाली अगली मिसाइल K-5 है, जो K-श्रृंखला की परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल है। यह एक पनडुब्बी से प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) है।
तो चीन… पाकिस्तान के बड़े शहरों को नष्ट कर रहा है
इस मिसाइल का विकास स्वदेशी तौर पर किया गया है। इसमें 2000 किलोग्राम वजन का वारहेड स्थापित किया जा सकता है। चाहे वह पारंपरिक हो या परमाणु। फिलहाल इसकी रेंज 5 से 6 हजार किमी बताई जा रही है। लेकिन हल्के वारहेड के साथ यह 8 से 9 हजार किलोमीटर तक हमला कर सकता है। इसका निर्माण भारतीय रक्षा एवं विकास संगठन द्वारा किया जा रहा है।
यदि यह मिसाइल हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में किसी पनडुब्बी से प्रक्षेपित की गई तो चीन और पाकिस्तान के कई प्रमुख शहर कभी भी नष्ट हो सकते हैं। वर्तमान में इसे अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियों और एस-5 श्रेणी की पनडुब्बियों में स्थापित किया गया है। भविष्य में इसे अन्य पनडुब्बियों में भी लगाया जा सकता है।
के-5 बैलिस्टिक मिसाइल में रडार को गुमराह करने वाली तकनीकें और प्रतिउपाय भी लागू किए जाने की संभावना है, ताकि दुश्मन को यह पता न चल सके कि मिसाइल कब और कहां से आ रही है। इसके अलावा इसमें एमआईआरवी तकनीक भी लगाई जा सकती है, जिससे एक साथ कई स्थानों पर निशाना लगाया जा सकेगा।
वर्तमान में K-4 श्रृंखला की मिसाइलें
भारत के पास वर्तमान में K-4 पनडुब्बी से प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइलों का भंडार है। जिसकी रेंज 750 से 3500 किमी है। लेकिन नौसेना जहां नई पनडुब्बियां बना रही है, वहीं उसे नई मिसाइलों की भी आवश्यकता होगी। ऐसी स्थिति में के-5 और के-6 एसएलबीएम मिसाइलों की जरूरत है। ताकि अधिक दूरी तक हमले किये जा सकें।
इसके अलावा अग्नि-5 श्रृंखला की एसएलबीएम का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। अग्नि-5 मिसाइल की ताकत पूरी दुनिया जानती है। इसके अलावा चीन और पाकिस्तान भी इससे भयभीत हैं। क्योंकि इसकी सीमा में पूरा पाकिस्तान और आधा चीन शामिल है। लेकिन उन्नत K-सीरीज मिसाइलों को इसमें शामिल किया जा सकता है।
अग्नि-5 एसएलबीएम की ताकत
यह एक अंतरमहाद्वीपीय परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल है। जिसकी रेंज 7 से 8 हजार किलोमीटर है। यह एक साथ कई हथियार ले जा सकता है। इसका मतलब यह है कि यह एमआईआरवी तकनीक से लैस है। एक मिसाइल पांच लक्ष्यों पर प्रहार कर सकती है। यह 400 किलोग्राम तक वजन वाले परमाणु या पारंपरिक हथियार ले जा सकता है। इसकी अधिकतम गति 30 हजार किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक है।
K-6 मिसाइल भी है शक्तिशाली
के-6 मिसाइल का निर्माण अभी भी जारी है। 39 फुट लंबी यह मिसाइल 3,000 किलोग्राम वजन का परमाणु हथियार ले जा सकती है। इससे कई लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सकता है। इसकी रेंज 8 से 12 हजार किलोमीटर होगी। इसे एस-5 पनडुब्बी में स्थापित करने की योजना है।