कनाडा के प्रधानमंत्री और लिबरल पार्टी के नेता जस्टिन ट्रूडो ने लगभग एक दशक तक सत्ता में रहने के बाद पद से इस्तीफा दे दिया है। 53 वर्षीय ट्रूडो ने सोमवार को ओटावा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस बड़े फैसले की घोषणा की। इस दौरान उन्होंने अपने कार्यक्षेत्र की उपलब्धियों, चुनौतियों और एक अफसोस का जिक्र किया।
ट्रूडो का अफसोस
ट्रूडो ने कहा,
“अगर मुझे किसी बात का पछतावा है, तो वह यह है कि हम कनाडा में चुनाव प्रणाली को बदलने में कामयाब नहीं हो सके। मैं चाहता था कि कनाडाई मतदाता अपने दूसरे और तीसरे विकल्प को भी बैलेट पेपर पर दर्ज कर सकें। यह बदलाव देश के लिए जरूरी था।”
उन्होंने कहा कि कनाडा को अगले चुनाव में सही नेतृत्व चुनने की आवश्यकता है।
“यह स्पष्ट हो गया है कि अगर मुझे आंतरिक लड़ाई लड़नी पड़ रही है, तो मैं चुनाव में सबसे अच्छा विकल्प नहीं हो सकता।”
कठिनाइयों का सामना और इस्तीफे की वजह
- महंगाई और आंतरिक असंतोष:
- ट्रूडो अपनी पार्टी के भीतर आलोचनाओं का सामना कर रहे थे।
- देश में बढ़ती महंगाई और लिबरल पार्टी में असंतोष प्रमुख मुद्दे बने।
- चुनावी चुनौती:
- आने वाले आम चुनाव में लिबरल पार्टी की राह आसान नहीं थी।
- ट्रूडो ने माना कि यह चुनाव उनकी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।
- इन सभी कारणों से ट्रूडो ने पीछे हटने का विकल्प चुना।
कंजर्वेटिव पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता
- हालिया सर्वे में लिबरल पार्टी, कंजर्वेटिव पार्टी से 20 अंकों से पीछे चल रही है।
- कंजर्वेटिव नेता पियरे पोलीवरे की लोकप्रियता में तेजी आई है।
- पोलीवरे ने ट्रूडो की आर्थिक और सामाजिक नीतियों की कट्टर आलोचना की है।
- इस स्थिति ने ट्रूडो और लिबरल पार्टी के लिए चुनौती को और बढ़ा दिया।
संसदीय कार्यवाही स्थगित
- ट्रूडो को कनाडा के गवर्नर जनरल से 24 मार्च तक संसदीय कार्यवाही स्थगित करने की अनुमति मिल गई है।
- इससे लिबरल पार्टी को हाउस ऑफ कॉमन्स में विपक्ष का सामना करने से पहले खुद को फिर से संगठित करने का समय मिल जाएगा।