जियो ने पेश की सैटेलाइट से चलने वाली ब्रॉडबैंड तकनीक, अब जंगलों-पहाड़ों में भी चलेगा इंटरनेट

रिलायंस जियो देश के दूरदराज के इलाकों को जोड़ने के लिए ‘जियोस्पेसफाइबर’ नाम से एक नई तकनीक लेकर आई है। ‘जियो स्पेस फाइबर’ एक उपग्रह आधारित गीगा फाइबर तकनीक है, जो उन दूरदराज के क्षेत्रों को जोड़ेगी जहां फाइबर केबल के माध्यम से ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करना मुश्किल है। यह सेवा देशभर में बेहद किफायती दाम पर उपलब्ध होगी। जियो ने 27 से 29 अक्टूबर तक चलने वाले इंडिया मोबाइल कांग्रेस में इस तकनीक का प्रदर्शन किया है। जियो फाइबर और जियो एयर फाइबर के बाद यह जियो स्पेस फाइबर कंपनी की तीसरी बड़ी तकनीक है।

इन जगहों पर टेक्नोलॉजी पहुंची

भारत के चार सबसे दूरदराज के स्थानों को जियो स्पेस फाइबर से जोड़ा गया है। इनमें गुजरात का गिर राष्ट्रीय उद्यान, छत्तीसगढ़ का कोरबा, उड़ीसा का नबरंगपुर और असम का ओएनजीसी-जोरहाट शामिल हैं।

सैटेलाइट के जरिए तकनीक काम करेगी

जियो फाइबर और जियो एयर फाइबर के बाद यह रिलायंस जियो के कनेक्टिविटी पोर्टफोलियो में तीसरी प्रमुख तकनीक है। एसईएस कंपनी के उपग्रहों का उपयोग जियो स्पेस फाइबर के माध्यम से दूरदराज के क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए किया जाएगा। इसका मतलब है कि जियो स्पेस फाइबर अब कहीं भी और कभी भी विश्वसनीय मल्टी-गीगाबिट कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। जियो स्पेस फाइबर चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवाएं देने के लिए नवीन और उन्नत एनजीएसओ तकनीक का उपयोग करेगा।

टेलीकॉम सेक्टर से जुड़े विशेषज्ञों का मानना ​​है कि ‘जियो स्पेस फाइबर’ ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलने की ताकत रखता है। किफायती, विश्वसनीय और हाई-स्पीड इंटरनेट से जुड़ने से दूरदराज के इलाकों में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े बदलाव की उम्मीद है। दूर-दराज के सरकारी स्कूल सैटेलाइट कनेक्टिविटी के जरिए इंटरनेट की दुनिया से जुड़ सकेंगे। शिक्षा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होगा, साथ ही शिक्षा में असमानता में भी कमी आएगी। इन क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, टीकाकरण, पोषण और सामुदायिक कल्याण पर डेटा वास्तविक समय में उपलब्ध होगा, जिससे स्थानीय सरकारें सही और सटीक निर्णय लेने में सक्षम होंगी।