झारखंड लिख रहा है अपनी नई पहचान, अब दुनिया देख रही है प्रकृति का छिपा हुआ खजाना

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News India Live, Digital Desk : आज से 25 साल पहले जब झारखंड एक अलग राज्य के रूप में भारत के नक्शे पर उभरा, तो इसकी पहचान मुख्य रूप से कोयले, लोहे और अन्य खनिजों से भरे एक औद्योगिक प्रदेश के रूप में थी. लोगों के लिए झारखंड का मतलब था - खदानें, कारखाने और घने जंगल. लेकिन इन 25 सालों में, गंगा और स्वर्णरेखा जैसी नदियों ने बहुत पानी बहाया है और अब झारखंड अपनी इस पुरानी पहचान को पीछे छोड़कर पर्यटन के क्षेत्र में एक नई और शानदार कहानी लिख रहा है.

कभी जो प्रदेश सिर्फ अपनी खनिज संपदा के लिए जाना जाता था, आज वह अपने खूबसूरत झरनों, हरे-भरे पहाड़ों, समृद्ध आदिवासी संस्कृति और पवित्र धार्मिक स्थलों के कारण देश और दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहा है.

झारखंड में ऐसा क्या है खास?

झारखंड को प्रकृति ने मानो फुरसत में संवारा है. यहां हर तरह के पर्यटक के लिए कुछ न कुछ ख़ास है:

  • प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग: 'छोटानागपुर की रानी' कहा जाने वाला नेतरहाट अपने सूर्योदय और सूर्यास्त के अद्भुत नज़ारों के लिए मशहूर है. वहीं, पलामू का बेतला नेशनल पार्क बाघ, हाथी और अन्य जंगली जानवरों को उनके प्राकृतिक घर में देखने का एक शानदार मौका देता है. रांची के आसपास ही दसम, जोन्हा और हुंडरू जैसे दर्जनों झरने हैं, जिनकी गर्जना कानों में संगीत घोल देती है.
  • आध्यात्म और आस्था के बड़े केंद्र: झारखंड सिर्फ प्रकृति का ही नहीं, बल्कि आस्था का भी एक बड़ा केंद्र है. जैन धर्म के सबसे बड़े तीर्थस्थल पारसनाथ (सम्मेद शिखरजी) की पवित्र भूमि यहीं है, जहाँ 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष प्राप्त किया था. हिंदुओं के लिए, द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथ धाम, देवघर की महिमा किसी से छिपी नहीं है. हर साल श्रावणी मेले में यहां लाखों कांवड़िए पहुँचते हैं. इसके अलावा, रामगढ़ का रजरप्पा मंदिर, जहां माँ छिन्नमस्तिका का वास है, शक्ति उपासकों के लिए एक बहुत बड़ा आस्था का केंद्र है.

कैसे बदल रही है तस्वीर?

राज्य सरकार ने भी झारखंड की इस छिपी हुई पर्यटन क्षमता को पहचाना है. नई पर्यटन नीति लागू की गई है और इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करने पर ज़ोर दिया जा रहा है. अब यहां सिर्फ धार्मिक पर्यटन ही नहीं, बल्कि इको-टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म, माइनिंग टूरिज्म और कल्चरल टूरिज्म को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.

इसका असर भी दिखने लगा है. झारखंड को हाल ही में देश के सर्वश्रेष्ठ धार्मिक और आध्यात्मिक स्थलों के लिए प्रतिष्ठित पुरस्कार भी मिले हैं, जो इस बात का सबूत है कि झारखंड की यह नई पहचान अब सिर्फ बातों में नहीं, बल्कि सम्मानों में भी झलक रही है.

25 साल का यह सफर वाकई शानदार रहा है. झारखंड अब सिर्फ एक औद्योगिक राज्य नहीं, बल्कि 'प्रकृति का छिपा हुआ खजाना' है, जिसे दुनिया अब धीरे-धीरे खोज रही है.

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