Jharkhand Industrial Policy : क्यों झारखंड छोड़कर भाग रहे हैं निवेशक? कारोबारियों ने खोला सबसे बड़ा राज़
News India Live, Digital Desk: Jharkhand Industrial Policy : झारखंड को बने हुए 25 साल हो चुके हैं। इस राज्य को प्रकृति ने अपनी तरफ से कोई कमी नहीं दी - यहाँ कोयला है, लोहा है, घने जंगल हैं और सबसे बढ़कर, यहाँ के मेहनती लोग हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या इन 25 सालों में झारखंड उस मुकाम पर पहुँच पाया है, जहाँ उसे आज होना चाहिए था?
यही सवाल अब राज्य के बड़े-बड़े उद्योगपति और कारोबारी भी सरकार से पूछ रहे हैं। उनका कहना है कि अब छोटी-मोटी योजनाओं या हर साल बदलने वाली नीतियों से काम नहीं चलने वाला। अगर झारखंड को सच में देश का एक औद्योगिक पावरहाउस बनाना है, तो सरकार को अगले 25 सालों का एक ठोस और पक्का 'रोडमैप' या 'ब्लूप्रिंट' सामने रखना होगा।
कारोबारी आखिर चाहते क्या हैं?
झारखंड के उद्यमियों की मांगें बहुत सीधी और साफ़ हैं। वे कोई रियायत नहीं, बल्कि एक ऐसा माहौल चाहते हैं, जहाँ वे बिना किसी डर और परेशानी के अपना काम कर सकें।
- ऐसी नीतियां जो बार-बार न बदलें: कारोबारियों की सबसे बड़ी चिंता है नीतियों का स्थिर न होना। सोचिए, आपने किसी सरकारी नीति पर भरोसा करके करोड़ों रुपये लगा दिए और अगले ही साल सरकार बदल गई या नियम बदल गए, तो आपका सारा निवेश खतरे में पड़ सकता है। वे चाहते हैं कि सरकार कम से कम अगले 10-15 सालों के लिए एक पक्की औद्योगिक नीति बनाए, ताकि वे安心して भविष्य की योजना बना सकें।
- सिर्फ नाम का नहीं, काम का 'सिंगल विंडो' सिस्टम: हर सरकार 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' और 'सिंगल विंडो' सिस्टम की बात तो करती है, लेकिन हकीकत में आज भी एक छोटी सी मंजूरी के लिए कारोबारियों को कई सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। वे एक ऐसा सिस्टम चाहते हैं, जहां सच में एक ही जगह पर सारे काम समय पर हो जाएं।
- बेहतर सड़कें और 24 घंटे बिजली: कोई भी फैक्ट्री या उद्योग बिना अच्छी सड़कों और 24 घंटे बिजली के नहीं चल सकता। कारोबारी चाहते हैं कि सरकार औद्योगिक क्षेत्रों में कम से कम मूलभूत सुविधाएं तो पक्की करे, ताकि माल लाने-ले जाने और उत्पादन में कोई रुकावट न आए।
- स्थानीय लोगों को मिले प्राथमिकता: उद्योगपतियों का यह भी कहना है कि झारखंड के प्राकृतिक संसाधनों पर पहला हक यहां के लोगों का है। विकास ऐसा होना चाहिए जिससे स्थानीय स्तर पर छोटे-छोटे उद्योग लगें और यहां के युवाओं को नौकरी के लिए दूसरे राज्यों में पलायन न करना पड़े।
क्या है आगे की राह?
कारोबारियों का सपना सिर्फ मुनाफा कमाना नहीं है, बल्कि वे झारखंड को गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों की कतार में खड़ा देखना चाहते हैं। वे एक ऐसा माहौल चाहते हैं, जहां देश-विदेश की बड़ी-बड़ी कंपनियां आकर निवेश करें और झारखंड की एक नई पहचान बने।
अब गेंद सरकार के पाले में है। झारखंड अपनी दूसरी 'पारी' की शुरुआत कर रहा है, और यह 'ब्लूप्रिंट' ही तय करेगा कि आने वाले 25 सालों में यह राज्य विकास की एक नई कहानी लिखेगा या फिर संभावनाओं के बोझ तले यूं ही दबा रह जाएगा
--Advertisement--