Jharkhand High Court : अस्पताल में इलाज या मौत का सौदा? खून चढ़वाने गए बच्चे HIV पॉजिटिव हो गए

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News India Live, Digital Desk: Jharkhand High Court :  यह खबर पढ़कर शायद आपका दिल दहल जाए। जिन बच्चों को थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने के लिए खून चढ़ाया जा रहा था, वही खून उनकी रगों में HIV का ज़हर घोल गया। यह दर्दनाक और चौंकाने वाला मामला रांची का है, जहां इलाज के दौरान हुई एक भयानक लापरवाही ने कई मासूमों की ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया है।

मामला रांची के सदर अस्पताल का है, जहां 2018 में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों का इलाज चल रहा था। इन बच्चों को ज़िंदा रहने के लिए बार-बार खून चढ़ाने की ज़रूरत पड़ती थी। लेकिन, इसी प्रक्रिया के दौरान एक ऐसी चूक हुई जिसकी सज़ा ये बच्चे शायद ज़िंदगी भर भुगतेंगे। इन बच्चों को जो खून चढ़ाया गया, वो HIV और हेपेटाइटिस सी जैसे जानलेवा वायरस से संक्रमित था। जब बच्चों की तबीयत और बिगड़ने लगी और जांच हुई तो परिवार वालों के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। रिपोर्ट में पता चला कि कई बच्चे HIV पॉजिटिव हो गए हैं, तो कुछ को हेपेटाइटिस सी ने अपनी चपेट में ले लिया है। हैरान करने वाली बात यह थी कि जब बच्चों के माता-पिता की जांच की गई, तो वे पूरी तरह स्वस्थ पाए गए, जिससे यह साफ़ हो गया कि संक्रमण अस्पताल में चढ़ाए गए खून से ही फैला है।

इस भयानक लापरवाही के सामने आने के बाद एक पीड़ित बच्चे के पिता ने हिम्मत नहीं हारी और इंसाफ के लिए सीधे झारखंड हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस को एक चिट्ठी लिख डाली इस चिट्ठी ने अदालत को झकझोर कर रख दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने इसे एक जनहित याचिका में बदल दिया और इस पर खुद संज्ञान लिया।

चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की बेंच ने इस मामले को बेहद गंभीर माना है और तुरंत एक्शन लेते हुए राज्य के स्वास्थ्य सचिव और रांची के सिविल सर्जन से जवाब मांगा है। कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा है कि थैलेसीमिया के मरीज़ों के इलाज के लिए राज्य में क्या व्यवस्था है और इस तरह की भयानक लापरवाही कैसे हुई।

यह घटना हमारे स्वास्थ्य सिस्टम पर कई गंभीर सवाल खड़े करती है। जो अस्पताल ज़िंदगी बचाने के लिए होते हैं, वहां ऐसी लापरवाही कैसे हो सकती है? उन माता-पिता के दिल पर क्या गुज़र रही होगी, जो अपने बच्चों को इलाज के लिए लाए थे और बदले में उन्हें एक कभी न खत्म होने वाला दर्द मिल गया। फिलहाल, सबकी निगाहें हाईकोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी हैं और हर कोई यही उम्मीद कर रहा है कि इन मासूम बच्चों और उनके परिवारों को इंसाफ ज़रूर मिलेगा।

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