झज्जर, 6 मई (हि.स.)। परिवर्तन तो होना ही है आज नहीं तो कल होगा, मगर कायरों की आंखों में प्रायश्चित का जल होगा। देश व दुनिया के स्वार्थ पूर्ण भौतिक परिवेश की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति से निपटने का यह आह्वान ओज के मशहूर कवि डॉ. सारस्वत मोहन मनीषी ने किया। वह रविवार की शाम अपने 75वें जन्म दिवस के उपलक्ष में बहादुरगढ़ के आत्मशुद्धि आश्रम में आयोजित कवि सम्मेलन में उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि…बिना शक्ति के भक्ति भावना पंगु अधूरी है, आज बांसुरी संग सुदर्शन चक्र जरूरी है। कलमवीर विचार मंच की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने किया। आर्य समाज के जिला महामंत्री राजबीर छिकारा व आश्रम के अधिष्ठाता आचार्य विक्रम देव के सान्निध्य में लगभग चार घंटे तक चले इस कार्यक्रम की अध्यक्षता परोपकारिणी सभा अजमेर के राष्ट्रीय महामंत्री कन्हैयालाल आर्य ने की। कार्यक्रम में नवीन मल्होत्रा, हरिओम दलाल व आर्य समाज झज्जर के कोषाध्यक्ष सूर्य प्रकाश आर्य सहित विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से जुड़े लोग उपस्थित रहे। युवा गजलकार जय सिंह जीत के काव्य पाठ से शुरू हुए कार्यक्रम के दौरान दिल्ली, हरियाणा व उत्तर प्रदेश से पधारे कवियों ने श्रोताओं को घंटों मंत्रमुग्ध किए रखा। विश्व हास्य दिवस होने के बावजूद उपस्थित हास्य कवियों सहित सभी कलमवीरों ने अपने कवि धर्म का पालन करते हुए वातावरण को गरिमापूर्ण बनाए रखा।
हरिंदर यादव और विरेन्द्र कौशिक ने जहां हरियाणवी हास्य रचनाएं प्रस्तुत की। वहीं विकास यशकीर्ति, वेद भारती, सत्येन्द्र सारथी, वीणा अग्रवाल, रजनी अवनी, पुष्पलता आर्य, डॉ. शैलजा दुबे, भारती अग्रवाल व अनिल भारतीय आदि ने अपने गीतों, गजलों, मुक्तकों व दोहों के माध्यम से भारत की गौरवशाली परंपराओं व संस्कृति के पुनरुत्थान का संदेश दिया। कुमार राघव, राजपाल यादव राज व मोहित कौशिक ने वर्तमान पीढ़ी की भौतिकवादी सोच के चलते गांवों के शहरीकरण पर चिंता जताते हुए श्रोताओं को अपनी जड़ों की ओर लौटने का आह्वान किया। कौशल समीर व सार्थक सेवा समिति के प्रधान एनएस कपूर ने भी अपने मन की बात कहकर तालियां बटोरीं। हास्य कवि रसिक गुप्ता व मास्टर महेंद्र ने जहां श्रोताओं को ठहाके लगाने पर मजबूर किया। वहीं वयोवृद्ध बागी चाचा ने समाज व परिवार के वैचारिक प्रदूषण पर व्यंग्य रचनाएं सुनाकर सभी का अंतर्मन भिगो दिया।