जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महिला वकील की याचिका सुनने से इनकार कर दिया, जो कोर्ट में नकाब पहनकर पेश हुई थीं। महिला वकील ने चेहरा दिखाने से इनकार किया, जिसे कोर्ट ने नियमों के खिलाफ बताते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
मामला: नकाब पहनकर कोर्ट में पेश हुई वकील
27 नवंबर 2023 को, हाई कोर्ट में एक महिला वकील ने घरेलू हिंसा से जुड़े एक मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी की।
- महिला वकील ने अपना नाम सैयद एनैन कादरी बताया।
- वह वकील की ड्रेस में थीं, लेकिन चेहरे को नकाब से ढका हुआ था।
- जस्टिस राहुल भारती ने उनसे नकाब हटाने का अनुरोध किया, लेकिन वकील ने इसे अपना मौलिक अधिकार बताते हुए चेहरा दिखाने से इनकार कर दिया।
कोर्ट का रुख
जस्टिस भारती ने कहा कि चेहरा ढका होने की स्थिति में:
- पहचान की पुष्टि संभव नहीं:
वकील के तौर पर महिला की पहचान सत्यापित नहीं हो सकी। - नियमों का उल्लंघन:
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के निर्धारित ड्रेस कोड का पालन नहीं हुआ। - सुनवाई स्थगित:
कोर्ट ने मामले की सुनवाई स्थगित करते हुए रजिस्ट्रार जनरल से बीसीआई के नियमों की जांच करने को कहा।
बीसीआई के नियम: महिला वकीलों के लिए ड्रेस कोड
हाई कोर्ट की जस्टिस मोक्ष खजूरिया काज़मी ने 13 दिसंबर को अपने आदेश में स्पष्ट किया:
- बीसीआई के नियम:
- बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के अध्याय IV (भाग VI), धारा 49(1) (जीजी) में वकीलों के लिए ड्रेस कोड का उल्लेख है।
- इन नियमों में नकाब या चेहरा ढकने जैसी पोशाक को अनुमति नहीं दी गई है।
- सख्त निर्देश:
- महिला वकील चेहरा ढककर या बुर्का पहनकर मामलों की पैरवी नहीं कर सकतीं।
कोर्ट का निर्णय
जस्टिस मोक्ष खजूरिया काज़मी ने रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा:
- नकाब पहनकर कोर्ट में पेश होना वकील के पेशेवर आचरण और ड्रेस कोड के अनुरूप नहीं है।
- इस मामले में अब एक अन्य वकील ने याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी की, लेकिन कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तारीख तय कर दी।
महिला वकील का तर्क: मौलिक अधिकार का दावा
महिला वकील ने चेहरा ढकने को:
- अपना मौलिक अधिकार बताया।
- कहा कि कोर्ट को इसे हटाने के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए।
हालांकि, कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया और कहा कि वकील का पेशेवर आचरण और ड्रेस कोड न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है।