जम्मू-कश्मीर भारत की ‘विकसित भारत’ यात्रा में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है – डॉ. जितेंद्र सिंह 

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श्रीनगर, 16 नवंबर (हि.स.)। आज श्रीनगर में कन्वेंशन सेंटर एसकेआईसीसी में सीएसआईआर हेल्थकेयर थीम कॉन्क्लेव के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान और पीएमओ, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू और कश्मीर को भारत की ‘विकसित भारत’ यात्रा में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बताया।

मंत्री ने भारत के नवाचार-संचालित भविष्य की एक जीवंत तस्वीर पेश की जिसमें जैव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और युवा-नेतृत्व वाले स्टार्टअप की परिवर्तनकारी क्षमता पर जोर दिया गया। उन्होंने जम्मू और कश्मीर को अप्रयुक्त संसाधनों के खजाने के रूप में स्थापित किया।

स्टार्टअप, वैज्ञानिकों, नवोन्मेषकों और युवा उद्यमियों से भरे दर्शकों को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने घोषणा की कि भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम जो अब 1.6 लाख से अधिक उद्यमों के साथ वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा है, हमारी उद्यमशीलता की भावना का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि एक दशक पहले केवल 350 स्टार्टअप से हम तेजी से बढ़े हैं और नवाचार का एक पावरहाउस बन गए हैं।

मंत्री ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि तीन साल पहले हमारे पास अंतरिक्ष में केवल एकल-अंकीय सहयोग था और आज 300 से अधिक वैश्विक-मानक भागीदारों ने इसरो के साथ हाथ मिलाया है। हमारे पहली पीढ़ी के अंतरिक्ष स्टार्टअप अब प्रसिद्ध उद्यमी और ज्ञान के नेता हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इन उपलब्धियों को गति देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी नीतियों को श्रेय दिया।

उन्होंने कहा कि स्टार्टअप इंडिया की शुरुआत एक नारे से कहीं अधिक थी। यह एक चिंगारी थी जिसने एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन को प्रज्वलित किया। मंत्री ने जैव प्रौद्योगिकी में असाधारण प्रगति को भी रेखांकित किया, एक ऐसा क्षेत्र जिसे उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था का भविष्य कहा। उन्होंने भारत की पहली डीएनए वैक्सीन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लिए एचपीवी वैक्सीन जैसी अग्रणी उपलब्धियों की ओर इशारा किया जो देश की वैज्ञानिक क्षमता को रेखांकित करती हैं।

उन्होंने कहा कि 2014 में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था केवल 10 बिलियन डॉलर की थी। आज यह 130 बिलियन डॉलर है और हम 2030 तक 300 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की राह पर हैं। उन्होंने इस परिवर्तन में जम्मू और कश्मीर की भूमिका के बारे में भी भावुकता से बात की। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र जैव-अर्थव्यवस्था का केंद्र बनने के लिए तैयार है जो अपने अद्वितीय प्राकृतिक संसाधनों के साथ अगली औद्योगिक क्रांति को आगे बढ़ाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने युवा नवप्रवर्तकों से हार्दिक अपील की और उनसे 2047 के भारत के निर्माता बनने का आग्रह किया। उन्होंने सामाजिक जागरूकता के महत्व पर जोर दिया और सुझाव दिया कि माता-पिता अपने बच्चों के साथ इस तरह के सम्मेलनों में जाएँ ताकि पीढ़ियों के बीच ज्ञान के अंतर को पाटा जा सके। क्षेत्र से उदाहरण देते हुए उन्होंने लैवेंडर की खेती की सफलता की कहानी को क्षेत्र की क्षमता के प्रमाण के रूप में उजागर किया। उन्होंने सतत विकास और नवाचार को आगे बढ़ाने में जम्मू और कश्मीर सहित हिमालयी राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जब देश के अन्य हिस्सों में संसाधन कम हो रहे हैं तो इस क्षेत्र की अछूती क्षमता भारत की विकास कहानी का नेतृत्व करेगी।