परिसीमन मुद्दे पर JAC का प्रस्ताव पास, केंद्र सरकार से पारदर्शिता की मांग

Pti03 22 2025 000089b 0 17426426

संयुक्त कार्रवाई समिति (JAC) ने शनिवार को परिसीमन के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया, जिसमें केंद्र सरकार पर पारदर्शिता की कमी को लेकर चिंता जताई गई। JAC ने स्पष्ट रूप से कहा कि परिसीमन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए, ताकि सभी राज्यों की सरकारें, राजनीतिक दल और अन्य हितधारक इस पर विचार-विमर्श कर सकें।

JAC ने केंद्र सरकार से यह भी मांग की कि 1971 की जनगणना के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों पर लगाई गई रोक को अगले 25 वर्षों तक बढ़ाया जाए।

JAC की प्रमुख मांगें

परिसीमन प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
1971 की जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों की मौजूदा स्थिति को अगले 25 वर्षों तक बरकरार रखा जाए।
जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया है, उन्हें परिसीमन में नुकसान नहीं होना चाहिए।
संविधान में आवश्यक संशोधन किए जाएं ताकि राज्यों को उनके अधिकारों से वंचित न किया जाए।

JAC के प्रस्ताव में कहा गया कि,

“लोकतंत्र को और अधिक मजबूत करने के लिए परिसीमन प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता होनी चाहिए, ताकि सभी हितधारक इसे समझ सकें और इसमें अपनी भागीदारी दे सकें।”

परिसीमन से जुड़े संवैधानिक संशोधन और उनका प्रभाव

JAC ने प्रस्ताव में 42वें, 84वें और 87वें संवैधानिक संशोधनों का हवाला देते हुए कहा कि इन संशोधनों का उद्देश्य उन राज्यों को प्रोत्साहित करना था, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण नीति को सफलतापूर्वक लागू किया।

“राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य अभी तक हासिल नहीं हुआ है, इसलिए 1971 की जनगणना के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों पर लगी रोक को अगले 25 वर्षों तक बढ़ाया जाना चाहिए।”

JAC ने केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने की मांग की कि जो राज्य जनसंख्या नियंत्रण में सफल रहे हैं, उन्हें परिसीमन में किसी भी तरह से नुकसान नहीं होना चाहिए।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन का बयान

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, जो JAC का नेतृत्व कर रहे हैं, उन्होंने केंद्र सरकार की परिसीमन नीति पर कड़ा विरोध दर्ज किया।

“मौजूदा जनसंख्या के आधार पर प्रस्तावित परिसीमन, भाजपा नीत केंद्र सरकार की एक चाल है, जिससे वह अपनी गुप्त मंशा को लागू करना चाहती है। इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।”

JAC की बैठक में तीन राज्यों के मुख्यमंत्री, एक उपमुख्यमंत्री और 20 से अधिक राजनीतिक दलों के नेता मौजूद थे।

स्टालिन ने कहा कि,

“भाजपा हमेशा से राज्यों को उनके अधिकारों से वंचित करने वाली पार्टी रही है। परिसीमन के नाम पर वह राज्यों के साथ अन्याय कर रही है।”

JAC का अगला कदम क्या होगा?

JAC ने केंद्र सरकार को संविधान में आवश्यक संशोधन करने के लिए दबाव बनाने की रणनीति बनाई है।

  • राज्यों के नेताओं के साथ आगे चर्चा की जाएगी।

  • संसद में इस मुद्दे को मजबूती से उठाया जाएगा।

  • अगर सरकार पारदर्शिता नहीं बरतती, तो बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन भी हो सकता है।

JAC का मानना है कि अगर केंद्र सरकार पारदर्शी तरीके से परिसीमन नहीं करती, तो यह लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।