प्रयागराज, 22 मई (हि.स.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने बौद्धिक सम्पदा अधिकार (आईपीआर) और प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) साइन किया है। यह जानकारी इविवि की जनसम्पर्क अधिकारी प्रो जया कपूर ने दी।
उन्होंने बताया कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से रजिस्ट्रार प्रोफेसर एन.के शुक्ला और एनआरडीसी की ओर से सीएमडी कमोडोर अमित रस्तोगी ने दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। एमओयू मई 2024 से 10 वर्षों की अवधि के लिए वैध रहेगा। प्रो. जया कपूर ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह उपलब्धि हमारी कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव के समर्पित प्रयासों से सम्भव हुई है। उनकी दूरदृष्टि और प्रतिबद्धता इसे सफल बनाने में सहायक रही है।
प्रोफेसर जया कपूर ने बताया कि राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आधीन एक उद्यम है। इस एमओयू का उद्देश्य विश्वविद्यालय में विकसित प्रौद्योगिकियों और बौद्धिक सम्पत्तियों का उद्योग एवं अन्य क्षेत्रों में भागीदारों के साथ व्यवसायीकरण करना है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम अब विश्वविद्यालय में विकसित प्रौद्योगिकियों और बौद्धिक सम्पत्तियों का व्यवसायिक क्षमता के संदर्भ में मूल्यांकन कर उनके व्यवसायिक प्रयोग से सम्बंधित सेवाएं प्रदान करेगा।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डीन शोध (अनुसंधान एवं विकास) प्रो. एस.आई रिज़वी ने विश्वविद्यालय में उद्योगों के लिए समस्या-समाधान मूलक शोध के अनुकूल वातावरण बनाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उद्योग अकादमिक सम्पर्क को बढ़ाने से शैक्षणिक संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण शोध होगा।
उन्होंने कहा कि प्रतिभा के बावजूद छात्रों और शोधकर्ताओं को अपने उत्पादों को पेटेंट करने और व्यवसायीकरण करने में मार्गदर्शन की कमी होती थी जो अब नहीं होगी। वहीं, विश्वविद्यालय पेटेंट समिति के अध्यक्ष डॉ विष्णु प्रभाकर श्रीवास्तव ने कहा कि सामाजिक लाभ के लिए विश्वविद्यालय के नवाचारों का व्यवसायीकरण करने के प्रयास शुरू किए गये हैं।