कई बार माता-पिता को बच्चों की मांग पूरी न कर पाने का दुख होता है। लेकिन जब बच्चा हर छोटी-बड़ी चीज के लिए जिद करने लगे, तो यह समस्या बन सकती है।
क्या बच्चों की हर मांग पूरी करनी चाहिए?
या फिर उनकी जरूरतों और इच्छाओं के बीच संतुलन बनाना जरूरी है?
बच्चे की खुशी माता-पिता की जिम्मेदारी होती है, लेकिन हर मांग तुरंत पूरी करना उसे जिद्दी और क्रोधी बना सकता है। इसलिए बच्चों की मांगों और उनकी पूर्ति के बीच सही तालमेल बिठाना बहुत जरूरी है।
1. बड़ी खुशियों में करें निवेश, हर छोटी मांग पूरी न करें
बच्चे को हर चीज तुरंत देने से वह जिद्दी बन सकता है।
बच्चे को सिर्फ तत्काल खुशी देने के बजाय, उसके भविष्य की खुशी पर ध्यान दें।
कैसे करें?
- उनकी जरूरत को समझें, मांग को नहीं।
- तुरंत खिलौना या गैजेट देने के बजाय, उन्हें बचत और धैर्य सिखाएं।
- छोटी-छोटी चीजों की आदत डालने से वे भविष्य में धैर्यवान और समझदार बनेंगे।
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2. बाजार को न बनने दें बच्चों पर हावी
आजकल के विज्ञापन और डिजिटल गैजेट्स बच्चों के मन में नई-नई इच्छाएं पैदा कर रहे हैं।
महंगे खिलौने और डिजिटल गेम्स जरूरी नहीं कि बच्चों की सोचने-समझने की क्षमता बढ़ाएं।
दादा-दादी की कहानियां और परंपरागत खेल बच्चों के मानसिक विकास में ज्यादा मददगार होते हैं।
क्या करें?
- महंगे खिलौनों की बजाय बच्चों को आउटडोर गेम्स से जोड़ें।
- गैजेट्स के ज्यादा इस्तेमाल से बचाएं, क्योंकि यह उनके बोलने और भाषा विकास में बाधा बन सकता है।
- टीवी और मोबाइल की जगह किताबें और क्रिएटिव एक्टिविटीज पर फोकस करें।
3. बच्चों से खुलकर करें बात
बच्चों की मांग का कारण समझना जरूरी है।
उनसे पूछें कि उन्हें कोई चीज क्यों चाहिए?
क्या यह सिर्फ दिखावे के लिए है या वास्तव में उनकी जरूरत है?
कहीं ऐसा तो नहीं कि आप उन्हें पर्याप्त समय नहीं दे रहे, और वे इस खालीपन को भरने के लिए चीजें मांग रहे हैं?
क्या करें?
- बच्चे के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं।
- उन्हें समझाएं कि हर चीज की जरूरत और कीमत अलग-अलग होती है।
- उनकी इच्छाओं को समझकर सही फैसले लें।