बीकानेर, 28 मई (हि.स.)। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक (पशु स्वास्थ्य) डॉ.अशोक कुमार ने कहा कि बदलते परिवेश में पोषण की आवश्यकता अनुरूप ऊंटनी के दूध से बने उत्पादों का चलन बढ़ना चाहिए वहीं इसे और अधिक वैज्ञानिकता की कसौटी पर खरा उतारने के प्रयास जारी रखे जाएं।
वे यहां राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र (एन.आर.सी.सी.), बीकानेर एवं राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंध संस्थान (मैनेज), हैदराबाद के संयुक्त तत्वावधान में ऊंटों की नूतन स्वास्थ्य देखभाल व पौषणिक प्रबंधन विषयक चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का मंगलवार को शुभारंभ के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
केन्द्र के निदेशक डॉ.आर्तबन्धु साहू ने कहा कि बदलते परिवेश में उष्ट्र पालन से जुड़ी चुनौतियों और अवसरों के साथ ऊंटों के अद्यतन आहार एवं पौषणिक प्रबंधन की विशेष आवश्यकता है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य क्षेत्र के पशु चिकित्सकों और पशु चिकित्सा विस्तार व्यावसायकों के ज्ञान को अद्यतन करना था। साथ ही पशुओं की बेहतर उत्पादकता के लिए ऊंट स्वास्थ्य देखभाल और पोषण प्रबंधन के लिए नवीनतम तकनीकी के संबंध में छात्रों और अन्य हितधारकों को अवगत करवाना रहा। डॉ.साहू ने ऊंटनी के औषधीय दूध एवं इससे निर्मित उत्पादों की गुणवत्ता पर भी अपने विचार रखें। इस अवसर पर ऑनलाईन जुड़े डॉ. रेखा दास ने कार्यक्रम को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।
डॉ अशोक कुमार, एडीजी, आईसीएआर ने वन हैल्थ प्रोग्राम के मध्यनजर ऊंटों की भूमिका पर अपना विस्तृत व्याख्यान दिया साथ ही केन्द्र की ओर से डॉ. आर.के.सावल, प्रधान वैज्ञानिक ने ‘एडवेंसेज इन फीडिंग एण्ड न्यूट्रेशन मैनेजमेंट’, डॉ. राकेश रंजन ने ऊंटों में होने वाली महत्वपूर्ण बीमारियों विषयक अपने व्याख्यान भी प्रस्तुत किए।
केन्द्र में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक डॉ.राकेश रंजन, प्रधान वैज्ञानिक ने जानकारी दी कि केन्द्र की इस बैठक में एनआरसीसी वैज्ञानिकों वैज्ञानिकों के साथ-2 देशभर से विभिन्न संस्थानों आदि के लगभग 125 से अधिक प्रतिभागी जुड़े। उनकी जिज्ञासाओं का निराकरण किया गया। अत : इससे निश्चित रूप से पशुपालकों व कार्यक्षेत्र संबद्ध पशु चिकित्सकों, शोध विद्यार्थियों को लाभ मिल सकेगा।