ISRO ने अंतरिक्ष में हासिल की नई कामयाबी: सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में बीज अंकुरित करने में सफलता

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि अपने नाम कर ली है। इसरो ने सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (Microgravity) में बीज अंकुरित करने में सफलता हासिल की है। इस प्रयोग का उद्देश्य अंतरिक्ष में पौधों के विकास और उनकी अनुकूलन प्रक्रिया को समझना है।

क्या है इसरो की नई उपलब्धि?

  • इसरो ने शनिवार को X (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी दी कि अंतरिक्ष यान PSLV-C60 के पीओईएम-4 प्लेटफॉर्म पर चार दिन में काऊसीड (Cowpea Seed) का बीज अंकुरित हुआ है।
  • यह बीज पोषक तत्वों से भरपूर होता है और लोबिया के बीज जैसा दिखता है।
  • जल्द ही बीज से पत्ते निकलने की उम्मीद है।

क्रॉप्स प्रोजेक्ट के तहत प्रयोग

  • इस प्रयोग के लिए इसरो ने कुल 8 बीज अंतरिक्ष में भेजे थे।
  • इन्हें Compact Research Module for Orbital Plant Studies (CROPS) के तहत भेजा गया था।
  • विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर ने इस परीक्षण को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

PSLV-C60 मिशन और POEM-4 प्लेटफॉर्म

  • 30 दिसंबर 2024: PSLV-C60 मिशन ने दो स्पेडएक्स उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित किया।
  • इस मिशन के चौथे चरण में POEM-4 प्लेटफॉर्म पृथ्वी की कक्षा में 350 किलोमीटर की ऊंचाई पर प्रयोग कर रहा है।
  • कुल 24 प्रकार के प्रयोग इस प्लेटफॉर्म पर चल रहे हैं।

अंतरिक्ष में बीज अंकुरित करने का उद्देश्य

  • इस प्रयोग का मुख्य उद्देश्य विपरीत परिस्थितियों में पौधों के पनपने के तौर-तरीकों को समझना है।
  • अंतरिक्ष में पौधों की वृद्धि को समझने से दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों और मानव उपस्थिति के लिए नई संभावनाएं खुलेंगी।
  • इन प्रयोगों के परिणामों का विश्लेषण कर आगे की रणनीतियां बनाई जाएंगी।

चेजर उपग्रह से जुड़ी नई उम्मीदें

इसरो ने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (Spadex) में चेजर उपग्रह का सेल्फी वीडियो साझा किया।

  • उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में 470 किमी की ऊंचाई पर चक्कर लगा रहा है।
  • अगर यह परीक्षण सफल होता है, तो भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा।

बीज अंकुरण के लिए वैज्ञानिक तैयारी

  • अंतरिक्ष में बीज अंकुरण के लिए विशेष इंतजाम किए गए:
    • कैमरा इमेजिंग: बीज के विकास को रिकॉर्ड करने के लिए।
    • ऑक्सीजन और कार्बन डाईऑक्साइड की निगरानी।
    • तापमान और मिट्टी की नमी का संतुलन।
  • वैज्ञानिक इन आंकड़ों का गहन विश्लेषण कर रहे हैं।