गाजा पट्टी में एक बार फिर इजरायली सेना ने भीषण हमले शुरू कर दिए हैं। पिछले 72 घंटों में 94 हवाई हमलों और गोलीबारी के कारण 184 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। हमास द्वारा संचालित गाजा मीडिया कार्यालय ने इन हमलों को “खतरनाक और क्रूर” बताते हुए निहत्थे नागरिकों और आवासीय इलाकों को निशाना बनाए जाने की कड़ी निंदा की है। बयान के अनुसार, कई पीड़ित या तो मलबे में दबे रहे या अस्पताल तक नहीं पहुंच सके क्योंकि क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे ने राहत कार्यों को बाधित किया।
गाजा में बिगड़ता हालात
फिलिस्तीनी नागरिक सुरक्षा अधिकारियों ने इन हमलों की गंभीरता की पुष्टि की है। उनके अनुसार, यह अवधि स्थानीय निवासियों के लिए “असाधारण रूप से कठिन” रही है। इन हमलों के लिए पूरी तरह से इजरायली सेना को जिम्मेदार ठहराया गया है। साथ ही, अमेरिका द्वारा इजरायल को सैन्य और राजनीतिक समर्थन देने पर भी कड़ी आलोचना की गई है।
संयुक्त राष्ट्र से ऐक्शन की अपील
गाजा मीडिया कार्यालय ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने इन हमलों को “जघन्य अपराध” करार देते हुए इनके दस्तावेजीकरण और स्वतंत्र जांच टीमों के माध्यम से जवाबदेही सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
हमास के बंधक संकट पर इजरायली चेतावनी
गुरुवार सुबह शुरू हुए हवाई हमले, इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज की चेतावनी के बाद तेज हो गए। उन्होंने कहा था कि अगर हमास ने बंधकों को रिहा नहीं किया और इजरायल पर रॉकेट दागना बंद नहीं किया, तो इजरायल अभूतपूर्व बल का प्रयोग करेगा।
युद्ध की पृष्ठभूमि
यह संघर्ष 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा दक्षिणी इजरायल पर किए गए हमलों के बाद शुरू हुआ। इन हमलों में 1,200 से अधिक इजरायली मारे गए और लगभग 250 बंधकों का अपहरण कर लिया गया था। इसके जवाब में, इजरायल ने गाजा में बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान शुरू किया। गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, अब तक इन हमलों में 45,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।
निष्कर्ष और संभावित समाधान
गाजा में बिगड़ते मानवीय संकट ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर चिंता उत्पन्न कर दी है। इस संघर्ष को समाप्त करने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग और जिम्मेदारी
यह समय है कि वैश्विक समुदाय इस मानवीय संकट को प्राथमिकता दे और प्रभावित नागरिकों को राहत प्रदान करने के लिए समन्वित कदम उठाए। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और मानवाधिकार संगठनों की भूमिका इस संदर्भ में और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।