7 अक्टूबर 2023 को हमास के आतंकवादियों ने इजरायल पर भीषण हमला किया, जिसे इजरायली इतिहास का सबसे घातक हमला माना जा रहा है। इस हमले को रोकने में इजरायली सेना पूरी तरह विफल रही, जिसका खुलासा अब आंतरिक जांच रिपोर्ट में हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया कि इजरायली सेना ने हमास के इरादों और उसकी क्षमताओं को गलत समझा, जिसकी वजह से आतंकी संगठन अपने मकसद में कामयाब हो गया। इस निष्कर्ष से प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर भी दबाव बढ़ने की संभावना है, क्योंकि उनकी सरकार की रणनीति पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
हमले के बाद क्यों बढ़ी नेतन्याहू की आलोचना?
7 अक्टूबर के हमले के बाद गाजा में युद्ध छिड़ गया, जो अब तक जारी है। कई इजरायली नागरिक मानते हैं कि सेना की विफलता सिर्फ सैन्य स्तर तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह सरकार की रणनीति का भी नतीजा थी।
नेतन्याहू की नीति के तहत कतर को गाजा में नकदी भेजने की इजाजत दी गई थी, जिससे हमास को आर्थिक मजबूती मिली।
फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA), जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है, उसे हाशिए पर डाल दिया गया।
नेतन्याहू ने अब तक हमले की जिम्मेदारी लेने से इनकार किया है, और कहा है कि युद्ध समाप्त होने के बाद ही कठिन सवालों के जवाब दिए जाएंगे।
फहीम का पुलिस क्लीयरेंस प्रमाण पत्र, जिसे 26/11 में बरी कर दिया गया था। उच्च न्यायालय में आवेदन
संघर्ष विराम का भविष्य क्या होगा?
7 अक्टूबर को हुए हमले में करीब 1200 लोग मारे गए और 251 लोग हमास के कब्जे में बंधक बना लिए गए थे। इस हमले के बाद इजरायल ने गाजा में सैन्य अभियान तेज कर दिया था।
हालांकि, बीते 6 हफ्तों से युद्धविराम लागू है, लेकिन यह इसी हफ्ते समाप्त हो रहा है।
इजरायल ने साफ किया है कि वह गाजा में एक रणनीतिक गलियारे से पीछे नहीं हटेगा।
इस फैसले से हमास और मध्यस्थ मिस्र के साथ तनाव बढ़ सकता है।
हाल ही में हमास ने 600 फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई के बदले 4 इजरायली बंधकों के शव लौटाए।
अब सबकी निगाहें संघर्ष विराम के दूसरे चरण की बातचीत पर टिकी हैं, जो अभी शुरू नहीं हुई है। इस बीच, नेतन्याहू पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है कि हमले की जांच के लिए एक स्वतंत्र आयोग बनाया जाए, लेकिन उन्होंने इस मांग को खारिज कर दिया है।
क्या नेतन्याहू की सरकार पर मंडरा रहा संकट?
हमास के हमले और युद्ध की स्थिति के बीच इजरायल के भीतर ही नेतन्याहू की सरकार की आलोचना बढ़ती जा रही है।
सेना की असफलता स्वीकार करने के बाद जनता और पीड़ित परिवारों का गुस्सा बढ़ रहा है।
युद्धविराम का भविष्य अनिश्चित है, जिससे इजरायल और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
अगर संघर्ष विराम टूटता है, तो गाजा में हिंसा और बढ़ सकती है।
अब देखना होगा कि इजरायल इस संकट से कैसे निकलता है और क्या नेतन्याहू की सरकार इस दबाव का सामना कर पाएगी या नहीं।