इजरायल-गाजा संघर्ष: नेतन्याहू ने क्यों तोड़ा युद्धविराम?

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इजरायल ने बुधवार को लगातार दूसरे दिन गाजा पट्टी पर जबरदस्त हवाई हमले किए, जिनमें अब तक 14 फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है। इससे पहले, मंगलवार को हमास के साथ युद्धविराम तोड़ते हुए इजरायल ने भारी बमबारी की थी, जिसमें 400 से अधिक लोग मारे गए और 500 से ज्यादा घायल हो गए। यह हमला जनवरी में लागू युद्धविराम के बाद गाजा में इजरायल की सबसे बड़ी सैन्य कार्रवाई मानी जा रही है।

क्या नेतन्याहू ने युद्धविराम तोड़ दिया?

इस नए हमले ने साफ कर दिया कि इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू युद्धविराम से पीछे हट चुके हैं। जनवरी में उन्होंने बंधकों की रिहाई के दबाव में युद्धविराम पर सहमति जताई थी, लेकिन अंदर ही अंदर वे हमेशा इस असमंजस में थे कि हमास के खिलाफ युद्ध रोका जाए या नहीं।

अब जब हमास ने बंधकों की रिहाई रोक दी, तो नेतन्याहू ने इसे बहाना बनाकर गाजा पट्टी पर हमले फिर से शुरू कर दिए। लेकिन क्या यह सिर्फ हमास को सबक सिखाने के लिए किया गया, या इसके पीछे कोई राजनीतिक चाल भी छिपी है?

नेतन्याहू पर दोहरा दबाव

नेतन्याहू को दो विरोधाभासी गुटों के दबाव का सामना करना पड़ रहा है:

बंधकों के परिवारों का दबाव: वे चाहते हैं कि नेतन्याहू हमास से समझौता कर सभी बंधकों को छुड़ाएं।
दक्षिणपंथी गठबंधन सहयोगियों का दबाव: वे युद्ध जारी रखने और हमास को पूरी तरह खत्म करने के पक्ष में हैं।

हमास के वरिष्ठ अधिकारी ताहिर अल-नोनो ने कहा है कि बमबारी के बावजूद हमास बातचीत के लिए तैयार है। लेकिन हमास यह भी मानता है कि जब एक हस्ताक्षरित समझौता पहले से मौजूद है, तो नए समझौते की कोई जरूरत नहीं।

डोनाल्ड ट्रंप की रणनीति और अमेरिका का बदला रुख

नेतन्याहू के फैसले को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन मिला है। ट्रंप प्रशासन ने इजरायल की हवाई हमलों की कार्रवाई को सही ठहराया, जबकि इससे पहले ट्रंप ने ही इजरायल-हमास युद्धविराम की मध्यस्थता का श्रेय लिया था।

लेकिन अचानक ट्रंप ने अपना रुख क्यों बदला?
 इसके पीछे गाजा के लोगों को अफ्रीकी देशों में बसाने की उनकी योजना बताई जा रही है, जो अब तक पूरी नहीं हो सकी है।

अब इजरायल और अमेरिका, दोनों ही हमास को युद्धविराम विफल करने का दोषी ठहरा रहे हैं।

  • इजरायल का आरोप है कि हमास बंधकों की रिहाई को रोककर नए हमलों की तैयारी कर रहा था।
  • हालांकि, इजरायल ने अब तक इसका कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया।
  • दूसरी ओर, हमास ने इन आरोपों से इनकार किया है।

क्या था युद्धविराम समझौता?

जनवरी 2025 में युद्धविराम समझौता हुआ था, जिसमें अमेरिका और इजरायल के बीच इस बात पर सहमति बनी थी कि:

 पहले चरण में हमास 1,800 फिलिस्तीनी कैदियों के बदले में 25 इजरायली बंधकों को रिहा करेगा।
 इस दौरान इजरायल की सेना बफर जोन से हटेगी, जिससे लाखों फिलिस्तीनी अपने घर लौट सकेंगे।
गाजा में मानवीय सहायता बढ़ाने पर भी सहमति बनी थी।

इस योजना के तहत युद्धविराम 1 मार्च 2025 तक जारी रहना था। लेकिन इसके दूसरे चरण में बंधकों की रिहाई धीमी पड़ गई, जिसके बाद नेतन्याहू ने फिर से हमला शुरू कर दिया।

नेतन्याहू ने युद्धविराम से पीछे हटने का फैसला क्यों किया?

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब बंधकों की रिहाई प्रक्रिया जारी थी, तब अचानक नेतन्याहू ने युद्ध क्यों छेड़ दिया?

मुख्य वजह:
नेतन्याहू को डर था कि अगर उन्होंने स्थायी युद्धविराम पर सहमति दी, तो उनकी सत्ता खतरे में पड़ सकती है।

क्या नेतन्याहू की कुर्सी खतरे में थी?

  • उनके दक्षिणपंथी सहयोगी बेज़ेल स्मोट्रिच ने धमकी दी थी कि अगर नेतन्याहू युद्धविराम के अगले चरण की तरफ बढ़ते हैं, तो वे गठबंधन से बाहर हो जाएंगे।
  • अगर ऐसा होता, तो इजरायल में समयपूर्व चुनाव कराए जा सकते थे।
  • चुनाव होने पर नेतन्याहू की हार की संभावना ज्यादा थी, क्योंकि जनता में उनके खिलाफ रोष बढ़ता जा रहा है।

नेतन्याहू का राजनीतिक दांव: दक्षिणपंथी गठबंधन को बनाए रखना

हालिया सर्वे के अनुसार, 75% इजरायली नेतन्याहू से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
जनता का समर्थन खोने के डर से नेतन्याहू ने दोबारा हमले शुरू किए ताकि दक्षिणपंथी गठबंधन की मदद से अपनी सत्ता बचा सकें।

नेतन्याहू के इस कदम से उन्हें दो फायदे हुए:
उन्होंने स्मोट्रिच जैसे दक्षिणपंथी नेताओं का समर्थन वापस पा लिया।
पूर्व गठबंधन सहयोगी इटमार बेन-ग्वीर भी फिर से सरकार में लौट आए।

इस तरह, युद्ध जारी रखकर नेतन्याहू ने खुद को सत्ता में बनाए रखने का एक नया रास्ता खोज लिया।