गाजा में इजरायल और हमास के बीच तनाव कम होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। युद्धविराम के पहले चरण को समाप्त हुए एक सप्ताह से अधिक समय हो गया है और अभी भी दूसरे चरण की कोई संभावना नहीं है। इस बीच, रमजान के पवित्र महीने के दौरान, इजरायल ने पहले तो गाजा के लोगों के लिए राहत सामग्री ले जाने वाले ट्रकों को रोक दिया और अब बिजली की आपूर्ति भी काट दी है। इजराइल के इस कदम की हर जगह आलोचना हो रही है। इस बीच, गाजा युद्धविराम के संबंध में अमेरिका और हमास के प्रतिनिधियों के बीच गुप्त वार्ता हुई। इस गुप्त बैठक को लेकर इजराइल नाराज है। इजराइल का आरोप है कि उसे भी बैठक में शामिल किया जाना चाहिए था। इजरायल की आलोचना से हताश होकर अमेरिका ने इजरायल को स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह उसका एजेंट नहीं है।
बंधक मामलों के लिए अमेरिका के विशेष दूत एडम बोहलर ने हमास के साथ गुप्त वार्ता पर इजरायल की नाराजगी को खारिज करते हुए कहा, “हम इजरायल के एजेंट नहीं हैं।” बोहलर ने खुलासा किया कि ये प्रत्यक्ष वार्ताएं अमेरिकी बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए की गई थीं, हालांकि उनका अंतिम लक्ष्य सभी बंधकों की रिहाई था। उन्होंने कहा, “हम सिर्फ दो सप्ताह इंतजार करने को तैयार नहीं थे।”
क्या अमेरिका हमास के प्रति नरम हो गया है?
इजरायली अधिकारी अमेरिकी कदम से नाराज थे, खासकर तब जब बोहलर ने कहा कि हमास ने पांच से दस साल की युद्धविराम योजना और निरस्त्रीकरण का प्रस्ताव दिया है। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें हमास अधिकारियों से दोबारा मिलने का अवसर मिलेगा, तो उन्होंने बेपरवाही से कहा, “आप कभी नहीं जानते। कभी-कभी आप उस क्षेत्र में होते हैं और उनसे मिलते हैं।” इस बातचीत से आतंकवादी संगठनों के साथ बातचीत न करने की अमेरिका की दशकों पुरानी नीति टूट गई। हालाँकि, बोहलर ने स्पष्ट किया कि ट्रम्प प्रशासन को इन वार्ताओं की पहले से ही जानकारी थी।
इजराइल की कड़ी प्रतिक्रिया
इज़रायली अधिकारी रॉन डेरमर ने इन वार्ताओं पर कड़ी आपत्ति जताई। इस बीच, बोहलर ने चैनल 13 से कहा, “अगर डेर्मर हर बार गुस्सा हो जाता, तो हर दिन बड़ी बहस होती।” अब सबकी निगाहें कतर में होने वाली वार्ता पर टिकी हैं, जहां इजरायल अपने बंधकों की रिहाई और युद्धविराम पर अमेरिका के रुख पर चर्चा करेगा।