क्या ब्रह्म मुहूर्त में तुलसी को जल देना उचित है?

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तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में सबसे पवित्र पौधों में से एक है। इस पौधे की नियमित पूजा करने और श्रद्धापूर्वक जल चढ़ाने से जीवन में समृद्धि आती है। तुलसी के पौधे में जल चढ़ाने के लिए कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं और कुछ खास दिनों और तिथियों पर जल चढ़ाना भी वर्जित है।

वहीं कई लोगों के मन में यह सवाल भी आता है कि क्या तुलसी के पौधे को ब्रह्म मुहूर्त में जल चढ़ाना चाहिए? वास्तव में तुलसी को जल चढ़ाना एक बहुत ही शुभ कार्य माना जाता है और ब्रह्म मुहूर्त के रूप में जाना जाने वाला शुभ समय, जो सूर्योदय से पहले आता है, विभिन्न आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियों के लिए एक शक्तिशाली समय माना जाता है। आइए ज्योतिषाचार्य पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानते हैं कि ब्रह्म मुहूर्त में तुलसी को जल चढ़ाने से क्या होता है और इससे क्या लाभ या हानि हो सकती है?

ज्योतिष में ब्रह्म मुहूर्त का महत्व
ब्रह्म मुहूर्त सूर्योदय से लगभग 1.5 घंटे पहले की अवधि है, जो आध्यात्मिक गतिविधियों और आत्म-देखभाल के लिए बहुत शुभ है। ज्योतिष में इस समय को दैवीय ऊर्जा, स्पष्टता, शांति और आध्यात्मिक विकास को सुगम बनाने वाला माना जाता है। सुबह की सकारात्मक तरंगों और शांति के कारण, इसे ध्यान, प्रार्थना और अन्य आध्यात्मिक प्रथाओं के लिए एक आदर्श समय माना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति इस दौरान कोई भी पूजा-अर्चना करता है तो उसे दोगुना फल मिलता है। ब्रह्म मुहूर्त के दौरान, वातावरण शांत होता है और मन आध्यात्मिक गतिविधियों के प्रति अधिक ग्रहणशील होता है। ये कारण ब्रह्म मुहूर्त को किसी की आध्यात्मिक प्रथाओं को बढ़ाने के लिए एक उत्कृष्ट समय बनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान तुलसी जैसे पवित्र पौधों को जल चढ़ाने से दैवीय ऊर्जा प्राप्त होती है और वातावरण सकारात्मक बना रहता है।

ज्योतिष के अनुसार तुलसी का महत्व
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को सबसे पवित्र पौधा माना जाता है। यह भगवान विष्णु का पसंदीदा पौधा है और तुलसी को विष्णु प्रिया भी कहा जाता है। इसकी पूजा देवी लक्ष्मी के रूप में की जाती है और यही कारण है कि जिन घरों में तुलसी की पूजा की जाती है वहां हमेशा सकारात्मक माहौल रहता है।

पौधे को भक्ति और आध्यात्मिक कल्याण के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। इतना ही नहीं, लडू गोपाल को भोग लगाते समय उसमें तुलसी के पत्ते अवश्य रखने चाहिए और वही भोजन उन्हें स्वीकार्य होता है। यह भी माना जाता है कि इससे घर में समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा आती है। तुलसी के पौधे की नियमित देखभाल और पूजा करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और समग्र कल्याण का वातावरण बना रहता है।

ब्रह्म मुहूर्त में तुलसी को जल चढ़ाने से क्या होता है?
तुलसी के पौधे को जल चढ़ाना न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि पौधे के स्वास्थ्य और जीवन शक्ति को बनाए रखने का एक तरीका भी माना जाता है, जिसके परिणामस्वरूप घर में हमेशा दैवीय आशीर्वाद बना रहता है।

ऐसा माना जाता है कि ब्रह्म मुहूर्त के दौरान तुलसी के पौधे को जल चढ़ाने से व्यक्ति का आध्यात्मिक संबंध बढ़ता है। सुबह वह समय है जब मन आध्यात्मिक प्रथाओं के प्रति अधिक केंद्रित और ग्रहणशील होता है। यदि आप ब्रह्म मुहूर्त के दौरान तुलसी की पूजा करते हैं और उस पर जल चढ़ाते हैं, तो इस अनुष्ठान में शामिल होने से आप इस शुभ समय के दौरान मौजूद दिव्य ऊर्जाओं से जुड़ सकते हैं, आध्यात्मिक संबंध को गहरा कर सकते हैं और आंतरिक शांति की भावना पैदा कर सकते हैं।

ब्रह्म मुहूर्त में तुलसी को जल चढ़ाने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
ब्रह्म मुहूर्त वह समय है जब प्राकृतिक ऊर्जाएं सामंजस्य में होती हैं और इस अवधि के दौरान तुलसी के पौधे को पानी देने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। ऐसा माना जाता है कि इस क्रिया से घर में दैवीय ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, जिससे सौहार्दपूर्ण और आध्यात्मिक रूप से उत्थानकारी वातावरण बनता है।

ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त में तुलसी के पौधे को जल चढ़ाने से घर में समृद्धि आती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इस पौधे को दैवीय आशीर्वाद का स्रोत माना जाता है और इस शुभ समय के दौरान इसका पालन-पोषण करने से वित्तीय स्थिरता, अच्छा स्वास्थ्य और समग्र कल्याण मिलता है।

तुलसी को कब जल नहीं देना चाहिए?
जहां एक ओर तुलसी को जल चढ़ाने के लिए ब्रह्म मुहूर्त सबसे अच्छा समय माना जाता है, वहीं दूसरी ओर सूर्यास्त के बाद और रात के समय तुलसी को छूने की भी मनाही होती है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी माता शाम से लेकर रात तक विश्राम करती हैं, इसलिए इस समय उन्हें पानी देने से बचना चाहिए।

इतना ही नहीं रविवार और एकादशी तिथि के दिन तुलसी को जल भी न दें। ऐसा माना जाता है कि तुलसी माता इस तिथि पर भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, इसलिए उन पर जल डालने से उनका व्रत टूट सकता है। इसका हमारे जीवन पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है।