जयपुर, 18 मई (हि.स.)। राजस्थान हाईकाेर्ट ने बिना माल सप्लाई किए ही जाली फर्म बनाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेने और 187.68 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा करने के आरोपित को मेडिकल ग्राउंड के आधार पर अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया। जस्टिस प्रवीर भटनागर ने यह निर्देश आरोपित धीरज सिंघल के अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए दिया।
आरोपित को नियमित जमानत प्रार्थना पत्र भी हाईकोर्ट में पेंडिंग चल रहा है। आरोपित की ओर से कहा कि उसे हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा व डायबिटीज है और जेल डिस्पेंसरी में उसका इलाज चल रहा है। उसे एसएमएस अस्पताल भी रैफर किया गया था। उसका स्वास्थ्य खराब रहता है इसलिए उसे मेडिकल ग्राउंड के आधार पर अंतरिम जमानत का लाभ दिया जाए। इसके विरोध में जीएसटी विभाग ने कहा कि मौजूदा समय में हर 11वें व्यक्ति को डायबिटीज है और वह जानलेवा नहीं है। वहीं आजकल आरोपितों का मेडिकल ग्राउंड के आधार पर अदालतों से जमानत दिए जाने का चलन भी बढ़ा है। आरोपित के खिलाफ करोडों रुपए के इनपुट टैक्स क्रेडिट फर्जीवाड़े का आरोप है। उसने बिना माल सप्लाई किए ही 47 फर्में बनाकर उन्हें इनवॉइस जारी कर दिए और इससे 134.43 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया है। आरोपित ने कुल 187.68 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया है और ऐसे में आरोपित को अंतरिम जमानत नहीं दी जा सकती। अदालत ने विभाग की दलीलों से सहमत होकर आरोपित की अंतरिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।