बीमा पॉलिसी: जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी से राहत जल्द ही मिल सकती है। बीमा पर मंत्रिसमूह (जीओएम) की बैठक अप्रैल में होने की उम्मीद है। इसमें मंत्री समूह जीएसटी परिषद को अपनी सिफारिशें अंतिम रूप देगा। उम्मीद है कि परिषद मई में अपनी बैठक में इस प्रस्ताव पर विचार करेगी। आईआरडीएआई ने इस संबंध में पहले ही अपनी राय दे दी है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी।
आईआरडीएआई ने इस मुद्दे पर अपनी राय दी
अधिकारी ने मनीकंट्रोल को बताया, “IRDAI ने जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर GST राहत पर अपनी राय दे दी है। बीमा पर GoM की बैठक अप्रैल में हो सकती है। इसमें वह GST परिषद को अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप दे सकता है। फिर अप्रैल के अंत या मई में होने वाली बैठक में GST परिषद राहत देने पर फैसला कर सकती है।” उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें बीमा क्षेत्र को जीएसटी में राहत देने के लिए तैयार हैं। लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं लिए जाने का कारण यह है कि IRDAI ने अपनी राय नहीं दी।
21 दिसंबर को जीएसटी परिषद की बैठक में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका
अधिकारी ने कहा कि इस मामले में आईआरडीएआई की भागीदारी जरूरी है। यदि ऐसा हुआ होता तो आरोप लगाए जा सकते थे कि इस मामले में बीमा नियामक की राय को ध्यान में नहीं रखा गया। इस संबंध में अंतिम निर्णय बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में मंत्रिसमूह की बैठक में लिया जाएगा। इससे पहले, मंत्री समूह बीमा नियामक की टिप्पणियों पर विचार करेगा। इससे पहले 21 दिसंबर को जीएसटी परिषद की बैठक में यह मुद्दा टल गया था।
जीवन बीमा कम्पनियां टर्म इंश्योरेंस पर छूट नहीं चाहतीं
मंत्रिमंडल में 13 सदस्य हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य और केरल के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल शामिल हैं। वर्तमान में जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 18% जीएसटी लगाया जाता है। जीवन बीमा कंपनियों ने टर्म जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी समाप्त करने का विरोध किया है। उनका मानना है कि इससे इनपुट टैक्स क्रेडिट का रास्ता बंद हो जाएगा, जिससे पॉलिसीधारकों की लागत बढ़ जाएगी।
जीवन बीमा कम्पनियां इस छूट का विरोध कर रही हैं
वर्तमान में, बीमा कम्पनियां आईटी अवसंरचना, विपणन और प्रशासनिक लागत जैसे व्यावसायिक व्ययों पर चुकाए गए करों को पॉलिसीधारकों से एकत्रित करों के विरुद्ध समायोजित करती हैं। यदि टर्म इंश्योरेंस प्रीमियम को जीएसटी से छूट दी जाती है तो बीमा कंपनियां आईटीसी का दावा नहीं कर पाएंगी। इससे उनके व्यवसाय की लागत बढ़ जाएगी। अंततः वे यह बोझ पॉलिसीधारकों पर डाल देंगे। इसके कारण पॉलिसीधारक जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी छूट का लाभ नहीं उठा पाएंगे।