इंदौर-भोपाल बनेंगे देश के पहले वेटलैंण्ड सिटी, अधिमान्यता के लिए भेजा प्रस्ताव

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भोपाल, 13 अगस्त (हि.स.)। देश में भोपाल एवं इंदौर पहले ऐसे दो शहर है, जिन्होंने वेटलैण्ड सिटी के रूप में अधिमान्यता के लिए प्रस्ताव दिया है। यह जानकारी मंगलवार को यहां राज्य वेटलैण्ड प्राधिकरण की चौथी बैठक में दी गई। पर्यावरण एवं वन मंत्री रामनिवास रावत ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए नदी, तालाबों के किनारों पर पौधे लगाने और नदी-तालाब को शहर के सीवेज से प्रदूषित होने से रोकने के निर्देश दिए।

मंत्री रावत ने कहा कि मध्यप्रदेश नदी तालाबों से एक संपन्न राज्य है । सरकार और समाज को मिलकर तालाबों का संरक्षण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य शासन तालाबों के समुचित संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। जल स्रोतों का बचाना राज्य शासन की उच्च प्राथमिकता है।

बैठक में पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव गुलशन बामरा ने प्राधिकरण के कार्यों एवं कार्ययोजना के महत्वपूर्ण बिन्दुओं की जानकारी दी। सदस्य सचिव संजीव सिंह ने एजेण्डा के बिन्दुओं पर चर्चा की। मंत्री रावत ने कहा कि प्रदेश के तालाबों के किनारों पर “एक पेड मां के नाम” अभियान में वन एवं पर्यावरण विभाग मिलकर पौधारोपण करें।

मंत्री रावत ने राज्य वेटलैण्ड प्राधिकरण के प्रतीक चिन्ह का लोकार्पण किया। शफा एस. मावल द्वारा डिजाइन किए गए प्रतीक चिन्ह को प्रथम पुरस्कार 50000 रुपये की राशि एवं अबीनो साइमन को द्वितीय पुरस्कार 25000 रुपये की राशि के लिए अनुशंसित किया गया।

मंत्री रावत ने राज्य वेटलैण्ड प्राधिकरण के कार्यों एवं गतिविधियों की सराहना की। राज्य वेटलैण्ड प्राधिकरण के सदस्य सचिव एवं एप्को के कार्यपालन संचालक संजीव सिंह नगर तथा ग्राम निवेश संचालनालय के आयुक्त श्रीकांत भनोट, मध्यप्रदेश जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव सुदीप सिंह, वन विभाग के सचिव अतुल मिश्रा, भोपाल नगर निगम के आयुक्त हरेन्द्र नारायण, राजस्व विभाग के अपर सचिव संजय कुमार, मत्स्य विभाग के संचालक सहित सभी संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

बता दें कि इंदौर स्थित सिरपुर वेटलैंड एक मानव निर्मित वेटलैंड है, जिसे पिछली दो शताब्दियों में प्राकृतिक विशेषताओं के साथ विकसित किया गया है। आमतौर पर पक्षी विहार (पक्षी अभ्यारण्य) नाम से प्रसिद्ध यह स्थल एक उथली, क्षारीय, पोषक तत्वों से भरपूर झील है। यह लुप्तप्राय प्रजातियों सहित पौधों और जानवरों को संरक्षण देती है। यह लगभग 175 स्थलीय पौधों की प्रजातियों, छह मैक्रोफाइट्स, 30 प्राकृतिक और मछली प्रजातियों, आठ सरीसृपों और उभयचरों के जीवन के लिए जरुरी व अनुकूलनीय पर्यावरण उपलब्ध कराती है।

सर्दियों के मौसम में जलीयपक्षी यहाँ आते हैं। करीब 130 पक्षी प्रजातियों को यहाँ देखा गया है। इनमें कॉमन पोचार्ड (अयथ्या फेरिना), मिस्र का गिद्ध (नियोफ्रॉन पर्कनोप्टेरस) और इंडियन रिवर टर्न (स्टर्ना ऑरेंटिया) शामिल हैं। सिरपुर वेटलैंड आसपास रहने वाले समुदायों को मत्स्य पालन और औषधीय पौधों की गतिविधियों से जोड़ता है। बाढ़ को रोकता है। स्थानीय लोग शांति, मनोरंजन और पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा के लिए यहाँ आते हैँ।