चीन द्वारा हाल ही में भारतीय सीमा के पास तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी (यारलुंग जांग्बो) पर दुनिया के सबसे बड़े बांध के निर्माण और अक्साई चिन में दो नई काउंटी बनाने की घोषणा के बाद भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। नई दिल्ली ने इन घटनाक्रमों पर चीन से राजनयिक स्तर पर विरोध जताते हुए इसे भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए चिंताजनक बताया है।
ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध: भारत की आपत्तियां
चीन की परियोजना और भारत की चिंताएं
चीन ने यारलुंग जांग्बो नदी पर जलविद्युत परियोजना को मंजूरी दी है, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी परियोजना कहा जा रहा है।
- परियोजना का स्थान: यह बांध हिमालय की विशाल घाटी में बनाया जाएगा, जहां ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत से अरुणाचल प्रदेश होते हुए असम और फिर बांग्लादेश में बहती है।
- निवेश: इस परियोजना पर लगभग 137 अरब अमेरिकी डॉलर का खर्च आएगा।
- प्रभाव: विशेषज्ञों का मानना है कि इस परियोजना से चीन को नदी के जल प्रवाह को नियंत्रित करने का अधिकार मिलेगा। इससे भारत और बांग्लादेश जैसे निचले प्रवाह वाले देशों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
भारत की प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत इस परियोजना पर नजर बनाए रखेगा और अपने हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
- “हमने चीनी पक्ष से आग्रह किया है कि नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों को किसी भी गतिविधि से नुकसान नहीं होना चाहिए।”
- भारत ने पारदर्शिता और परामर्श की मांग करते हुए चीन से अपने दायित्वों का पालन करने की अपील की है।
बांग्लादेश की आपत्तियां
बांग्लादेश ने भी इस परियोजना पर चिंता जताई है। ब्रह्मपुत्र नदी बांग्लादेश के लिए एक प्रमुख जल स्रोत है, और इस परियोजना के कारण उसकी जल आपूर्ति पर असर पड़ सकता है।
चीन की नई काउंटी की घोषणा: भारत की प्रतिक्रिया
चीन का कदम और भारत का विरोध
चीन ने होटन प्रांत (अक्साई चिन) में दो नई काउंटी बनाने की घोषणा की है, जिनके अधिकार क्षेत्र में भारत के लद्दाख क्षेत्र के कुछ हिस्से आते हैं।
- भारत ने इसे “अवैध और जबरन कब्जा” करार दिया है।
- विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस घोषणा से भारत की संप्रभुता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
रणधीर जायसवाल का बयान
- “हमने चीन द्वारा बनाई गई इन तथाकथित काउंटी को कभी स्वीकार नहीं किया है।”
- भारत ने इस मुद्दे पर चीन के समक्ष राजनयिक माध्यमों से कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
भारत-चीन संबंधों में ताजा तनाव
सीमा विवाद और सैनिकों की वापसी
भारत और चीन के बीच पिछले साढ़े चार साल से सीमा विवाद जारी है। हालांकि, दोनों पक्षों ने हाल ही में डेमचोक और देपसांग में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की है।
- सीमा वार्ता: हाल ही में विशेष प्रतिनिधियों द्वारा सीमा विवाद सुलझाने पर बातचीत हुई थी।
- लेकिन नई काउंटी और बांध परियोजना की घोषणा ने संबंधों में अविश्वास को फिर से बढ़ा दिया है।
चीन की मंशा पर सवाल
भारत को आशंका है कि चीन ब्रह्मपुत्र बांध के माध्यम से जल प्रवाह को एक रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकता है, खासकर शत्रुता के समय।
ब्रह्मपुत्र पर बांध: भारत और बांग्लादेश के लिए प्रभाव
पर्यावरण और जल सुरक्षा पर असर
- बांध से अरुणाचल प्रदेश और असम में जल प्रवाह पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- बांग्लादेश में भी पानी की आपूर्ति पर असर पड़ने की संभावना है।
भविष्य के कदम
- भारत ने अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र पर अपना बांध बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
- भारत और बांग्लादेश ने इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करने की योजना बनाई है।