शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर भारत का रुख, क्या मांग पूरी होगी?

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत से देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। 23 दिसंबर 2024 को इस संबंध में भारत को राजनयिक नोट भेजा गया। हालांकि, भारत सरकार इस मुद्दे पर कोई भी कार्रवाई करने के मूड में नहीं दिख रही है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मामले में अपने अगले कदम को लेकर स्पष्ट बयान देने से इनकार कर दिया है।

आइए जानते हैं इस घटनाक्रम के हर पहलू को।

प्रत्यर्पण की मांग: बांग्लादेश की दलीलें

1. ठोस सबूतों की आवश्यकता

  • विदेश नीति विशेषज्ञ और बांग्लादेश में भारत के पूर्व उच्चायुक्त पिनाक रंजन चक्रवर्ती के मुताबिक, शेख हसीना के खिलाफ ठोस सबूत पेश करना बांग्लादेश सरकार के लिए जरूरी है।
  • प्रत्यर्पण एक न्यायिक प्रक्रिया है और इसे कानूनी तरीके से निपटाया जाना चाहिए।
  • उन्होंने कहा, “द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के तहत निष्पक्षता और सुरक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए।”

2. अंतरिम सरकार का तर्क

  • अंतरिम सरकार, जिसे मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में स्थापित किया गया है, का कहना है कि “शेख हसीना के खिलाफ मानवता के अपराधों के लिए मुकदमा चलाना बांग्लादेश के लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है।”
  • सरकार का दावा है कि हसीना ने अपने शासन के दौरान कई अपराध किए और उन्हें इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

भारत का संभावित रुख

1. प्रत्यर्पण की जटिलता

  • पिनाक रंजन चक्रवर्ती ने बताया कि जब शेख हसीना ने बांग्लादेश छोड़ा था, उस वक्त उनके खिलाफ कोई कानूनी मामला लंबित नहीं था।
  • यह सवाल उठता है कि क्या एक असंवैधानिक अस्थायी सरकार कानूनी रूप से किसी निर्वाचित प्रधानमंत्री के प्रत्यर्पण की मांग कर सकती है।
  • क्या 1971 के नरसंहार से जुड़े अपराधों पर बांग्लादेश का अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अधिकार रखता है?

2. भारत की रणनीतिक प्राथमिकताएं

  • बांग्लादेशी सुप्रीम कोर्ट की वकील रश्ना इमाम का मानना है कि भारत हसीना को प्रत्यर्पित करने के पक्ष में नहीं है।
  • उन्होंने कहा, “भारत क्षेत्रीय महाशक्ति बनने के लिए चीन के साथ मुकाबला कर रहा है। हसीना को प्रत्यर्पित करना उसके कूटनीतिक प्रभाव को कमजोर कर सकता है।”
  • भारत का यह कदम भविष्य के सहयोगियों के साथ उसके संबंधों को प्रभावित कर सकता है।

क्या कहता है बांग्लादेश का राजनीतिक विश्लेषण?

1. शेख हसीना की वापसी के विरोध का डर

  • बांग्लादेशी राजनीतिक विश्लेषक जाहेदुर रहमान ने कहा कि भारत शेख हसीना को प्रत्यर्पित नहीं करेगा।
  • उन्होंने बताया, “भारत जानता है कि हसीना को सत्ता में लाने की कोशिश से बांग्लादेशी जनता में गुस्सा बढ़ेगा। इससे उनके सत्ता में बने रहने की संभावनाएं असंभव हो जाएंगी।”

2. भारत की भूमिका

  • हसीना के शासनकाल में भारत ने बांग्लादेश के साथ कई रणनीतिक फायदे हासिल किए।
  • अगर भारत प्रत्यर्पण की मांग को मानता है, तो यह संकेत जा सकता है कि वह अपने सहयोगियों के साथ लंबे समय तक खड़ा नहीं रहेगा।

शेख हसीना और बांग्लादेश का लोकतंत्र

अंतरिम सरकार का दावा है कि शेख हसीना का शासन बांग्लादेश के लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर चुका है।

  • आरोप है कि उन्होंने अपने शासनकाल में विपक्ष को दबाया और सत्ता में बने रहने के लिए भारत से समर्थन लिया।
  • हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध करने के आरोप भी लगाए गए हैं।

भारत के लिए कूटनीतिक दांव

भारत के लिए यह मामला सिर्फ प्रत्यर्पण का नहीं है, बल्कि इसका सीधा संबंध क्षेत्रीय स्थिरता और अंतर्राष्ट्रीय छवि से है।

  • भारत को यह तय करना होगा कि हसीना के प्रत्यर्पण से उसके द्विपक्षीय संबंध और क्षेत्रीय रणनीति पर क्या असर पड़ेगा।
  • यह मामला चीन और भारत के बीच शक्ति संतुलन के नजरिए से भी महत्वपूर्ण है।