नई दिल्ली: विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में खराब प्रदर्शन के कारण चालू वित्त वर्ष 2024-25 में देश की आर्थिक वृद्धि दर चार साल के निचले स्तर 6.4 प्रतिशत पर आने की संभावना है. यह अनुमान मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों में व्यक्त किया गया है.
6.4 फीसदी जीडीपी वित्त वर्ष 2020-21 के बाद सबसे कम है. गौरतलब है कि साल 2020-21 में कोविड के कारण जीडीपी माइनस 5.8 फीसदी रही थी. 2021-22 में जीडीपी 9.7 फीसदी, 2022-23 में 7 फीसदी और 2023-24 में 8.2 फीसदी रही.
वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए एनएसओ का 6.4 प्रतिशत का विकास अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान से कम है। आरबीआई ने दिसंबर 2024 में जारी अपने अनुमान में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी 6.6 फीसदी रहेगी.
इसके अलावा एनएसओ का यह अनुमान वित्त मंत्रालय के अनुमान से भी कम है. वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. इस अग्रिम अनुमान का उपयोग वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी को लोकसभा में पेश किये जाने वाले बजट को तैयार करने के लिए किया जाता है। एनएसओ के अनुमान के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ रेट 5.3 फीसदी रहेगी. जो पिछले वित्त वर्ष में 9.9 फीसदी थी. 2024-25 में सर्विस सेक्टर की ग्रोथ रेट 5.8 फीसदी रहने का अनुमान है. जो पिछले वित्त वर्ष में 6.4 फीसदी थी.
उल्लेखनीय है कि सेवा क्षेत्र में व्यापार, होटल, परिवहन और संचार शामिल हैं। कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 2024-25 में 3.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जो पिछले वित्त वर्ष में 1.4 फीसदी थी. एनएसओ के अनुमान के मुताबिक, 2024-2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 3.8 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान है।