नई दिल्ली। जल्द ही आम आदमी को सीटें न मिलने की वजह से महंगी ट्रेनों में सफर नहीं करना पड़ेगा। सीटें सिर्फ कम किराए वाली ट्रेनों में ही मिलेंगी। इस तरह आम लोगों के पास अपनी सुविधा के हिसाब से महंगी या सस्ती यात्रा करने का विकल्प होगा। आम लोगों को राहत देने के लिए भारतीय रेलवे ने अगले दो साल के लिए नॉन एसी कोच (जनरल और स्लीपर) का उत्पादन बढ़ाने की योजना तैयार की है। भारतीय रेलवे के मुताबिक, उसने अगले दो साल में करीब 10 हजार नॉन एसी कोच बनाने की योजना बनाई है। वित्त वर्ष 2024-25 और 2025-26 के दौरान पेश किए जाने वाले कोचों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, जिनमें रिकॉर्ड संख्या में 5300 से ज्यादा जनरल कोच शामिल हैं।
अधिकारियों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 में अमृत भारत जनरल 2605 सामान्य कोच, अमृत भारत स्लीपर कोच 1470 नॉन एसी स्लीपर, अमृत भारत एसएलआर कोच सहित 323 के अलावा 32 उच्च क्षमता वाले पार्सल वैन और 55 पेंट्री कार का उत्पादन किया जाएगा।
इसी तरह रेलवे ने वित्त वर्ष 2025-26 में अमृत भारत जनरल 2710 जनरल कोच, अमृत भारत स्लीपर कोच 1910 नॉन एसी स्लीपर, अमृत भारत एसएलआर कोच 514 एसएलआर कोच, 200 उच्च क्षमता वाले पार्सल वैन और 110 पेंट्री कार बनाने की योजना बनाई है। इस हिसाब से अगर ट्रेनों की संख्या की बात करें तो हर साल करीब 400 ट्रेनों का उत्पादन होगा। यहां यह जानना जरूरी है कि अमृत भारत में सामान्य ट्रेनों के मुकाबले ज्यादा सुविधाएं हैं और किराया करीब 17 फीसदी ज्यादा है।
वर्तमान में दो तिहाई कोच गैर-एसी हैं
ट्रेनों में सबसे ज्यादा मारामारी नॉन एसी क्लास यानी स्लीपर और जनरल में है। हालांकि, दो तिहाई कोच नॉन एसी हैं। मौजूदा प्रीमियम ट्रेनों के अलावा मेल, एक्सप्रेस और पैसेंजर में कुल कोचों की संख्या 68534 है। इसमें नॉन एसी स्लीपर और जनरल कोच 44946 हैं, जबकि एसी कोचों की संख्या 23588 है। हालांकि, इन आंकड़ों में उपनगरीय यानी लोकल ट्रेनों के कोचों की संख्या शामिल नहीं है।
95 प्रतिशत से अधिक लोग नॉन एसी में यात्रा करते हैं
ट्रेन से यात्रा करने वाले कुल यात्रियों में से 95.3% नॉन-एसी यानी जनरल और स्लीपर क्लास के होते हैं, जबकि केवल 4.7% यात्री ही एसी क्लास में यात्रा करते हैं।