Indian Rail Travelling: भारतीय रेलवे के जनरल कोचों में हर दिन लाखों यात्रियों को व्यस्त समय में यात्रा करनी पड़ती है. इसके साथ ही स्लीपर कोच में अधिक मांग के कारण कन्फर्म टिकट आसानी से नहीं मिल पाते हैं, लेकिन अब यह स्थिति जल्द ही बदलने वाली है।
बता दें कि भारतीय रेलवे आम रेल यात्रियों की सुविधा के लिए अगले दो वित्तीय वर्षों में 10,000 गैर-वातानुकूलित कोचों का निर्माण करने जा रहा है।
उत्तर रेलवे (उत्तर रेलवे) ने कहा कि इस पहल का मकसद आम रेल यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ाना है. अगले दो साल में 10,000 गैर वातानुकूलित कोच बनाने के बाद कुल यात्री कोचों में इनकी हिस्सेदारी बढ़कर 22 फीसदी हो जाएगी.
अलग-अलग कैटेगरी के कोच बनाए जाएंगे
वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान, रेलवे सामान्य (जनरल) श्रेणी के 2,605 कोच, स्लीपर क्लास के 1,470 कोच और एसएलआर (गार्ड और विकलांग आरक्षित) श्रेणी के 323 कोच के साथ-साथ 32 पार्सल वैन और 55 पेंट्री कारों का भी निर्माण करेगा। बयान के मुताबिक, यात्री सुविधा में सुधार के लिए तैयार किए गए इस निर्माण कार्यक्रम में अमृत भारत ट्रेनों के लिए जनरल, स्लीपर और एसएलआर कोच भी शामिल हैं।
इसी तरह, वित्त वर्ष 2025-26 में 2,710 जनरल क्लास कोच, 1,910 स्लीपर क्लास कोच, 514 एसएलआर कोच, 200 पार्सल वैन और 110 पेंट्री कारों का निर्माण किया जाएगा। बयान के मुताबिक, रेलवे का ध्यान गैर-वातानुकूलित कोचों में यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए पर्याप्त और बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित करना और यात्रियों की बदलती जरूरतों और मौसमी उतार-चढ़ाव के अनुसार आराम और उपलब्धता बढ़ाना है। नए रेलवे कोचों के निर्माण से रेलवे बड़ी संख्या में यात्रियों को निश्चित टिकट उपलब्ध कराने की स्थिति में होगा.
इससे यात्रियों को लंबी वेटिंग लिस्ट का सामना नहीं करना पड़ेगा. खासकर त्योहारों और छुट्टियों के दौरान तयशुदा टिकट मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है। ट्रेन में जनरल और स्लीपर क्लास कोच की संख्या कम होने से भी परेशानी बढ़ जाती है. इस समस्या को दूर करने और सुविधाजनक यात्रा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से रेलवे ने गैर वातानुकूलित श्रेणी के कोच बनाने का निर्णय लिया है।