भारत ने 100 गीगावाट सौर क्षमता का ऐतिहासिक लक्ष्य किया हासिल, दुनिया को मिलेगा ऊर्जा परिवर्तन का संदेश

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भारत ने 100 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित कर एक नया कीर्तिमान रच दिया है। यह उपलब्धि न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा है कि ऊर्जा परिवर्तन को कैसे तेजी से संभव बनाया जा सकता है। भारतीय राष्ट्रीय सौर ऊर्जा महासंघ (NSEFI) का कहना है कि भारत की यह सफलता विकसित और विकासशील देशों को हरित ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।

केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि यह स्वच्छ और हरित भविष्य के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का परिणाम है। 100 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करना केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं बल्कि भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारत बना दुनिया का चौथा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक

NSEFI के सीईओ सुब्रमण्यम पुलिपका के अनुसार, भारत अब चीन, अमेरिका और जर्मनी के बाद चौथा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक देश बन गया है। हालांकि, भारत जल्द ही जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए तीसरा सबसे बड़ा सौर बाजार बन सकता है।

यह उपलब्धि क्यों महत्वपूर्ण है?

  • नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ी सफलता
  • ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण
  • ऊर्जा परिवर्तन को तेज करने में मददगार

भारत की यह तेजी से बढ़ती सौर क्षमता अन्य देशों के लिए एक केस स्टडी बनेगी कि कैसे नीतिगत समर्थन और व्यापार-अनुकूल वातावरण के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

सौर ऊर्जा की बढ़ती क्षमता: 2014 से अब तक का सफर

भारत का सौर ऊर्जा क्षेत्र पिछले 10 वर्षों में जबरदस्त वृद्धि देख चुका है।

2014 में: भारत में सिर्फ 3 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता थी।
2024 में: भारत ने 100 गीगावाट का ऐतिहासिक आंकड़ा पार कर लिया।
2025-27 तक: हर साल 40-45 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता जोड़ी जाएगी।

क्या वजह रही इस जबरदस्त उछाल की?

  • सरकारी नीतियों का सहयोग (उदाहरण: पीएम-कुसुम, पीएम सूर्य घर योजना)
  • निजी निवेश और व्यापार-अनुकूल वातावरण
  • तकनीकी विकास और उत्पादन लागत में कमी
  • बढ़ती ऊर्जा जरूरतें और जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा का नया युग

भारत में ऊर्जा संक्रमण (Energy Transition) को लेकर जबरदस्त उत्साह है। NSEFI के अनुसार, भारत ने सौर ऊर्जा में इतनी तेज़ी से प्रगति की है कि यह एक नए युग की शुरुआत है।

क्या बदलेगा इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद?

✔ भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ेगी
✔ कोयले और अन्य जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम होगी
✔ कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, जलवायु परिवर्तन की समस्या घटेगी
✔ सौर ऊर्जा से चलने वाले उद्योगों और घरों की संख्या बढ़ेगी
✔ हरित ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे

भारत ने सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की हैं, जो इस ग्रोथ को और तेज करने में मदद करेंगी।

सरकार की योजनाएं जो इस ग्रोथ को दे रही हैं बढ़ावा

भारत में सौर ऊर्जा क्षमता बढ़ाने में सरकार की कई योजनाओं की अहम भूमिका रही है। इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं इस प्रकार हैं:

 पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना

  • घरों में सोलर पैनल लगाने को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • निःशुल्क सौर ऊर्जा से लोगों को कम खर्च में बिजली उपलब्ध कराई जा रही है।
  • घरेलू सौर ऊर्जा उत्पादन से अतिरिक्त बिजली ग्रिड में भेजी जा सकेगी।

 पीएम-कुसुम योजना

  • किसानों को सौर पंप और सोलर ऊर्जा से जुड़े उपकरण लगाने के लिए सब्सिडी दी जा रही है।
  • कृषि क्षेत्र को स्वच्छ ऊर्जा से जोड़ने का लक्ष्य।
  • डिजल और ग्रिड बिजली की जरूरत को कम करना।

इन योजनाओं के अलावा सरकार निजी निवेशकों और विदेशी कंपनियों को भी भारत के सौर ऊर्जा सेक्टर में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

भविष्य में भारत का सौर ऊर्जा लक्ष्य क्या है?

भारत अब 100 गीगावाट का लक्ष्य पार कर चुका है, लेकिन सरकार की नजर अगले बड़े लक्ष्य पर है:

2030 तक: भारत का लक्ष्य 280 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन करने का है।
2050 तक: भारत को पूरी तरह से नवीकरणीय ऊर्जा आधारित अर्थव्यवस्था बनाना।
विदेशी निवेश और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना।

इस लक्ष्य को कैसे हासिल किया जाएगा?
नए सौर ऊर्जा प्लांट्स की स्थापना
अधिशेष बिजली स्टोरेज और ट्रांसमिशन नेटवर्क को मजबूत बनाना
नवीकरणीय ऊर्जा के लिए और अधिक सरकारी सहायता योजनाएं लाना