भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और टैरिफ को लेकर कुछ चिंताएं बनी हुई हैं, लेकिन रक्षा सहयोग के क्षेत्र में लगातार सकारात्मक प्रगति हो रही है। इस कड़ी में, अमेरिकी विमान इंजन निर्माता जनरल इलेक्ट्रिक (GE) इस महीने के अंत तक 99 GE-404 इंजनों में से पहला इंजन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को सौंपने के लिए तैयार है।
यह डिलीवरी दो साल की देरी के बाद हो रही है, जिससे भारतीय वायुसेना (IAF) को बड़ी राहत मिलेगी। यह कदम तेजस MK 1A कार्यक्रम को नई गति देगा, जिसके तहत भारतीय वायुसेना को 83 हल्के लड़ाकू विमान (LCA) मिलने हैं।
GE-404 इंजन: तेजस MK 1A के लिए क्यों जरूरी है?
GE-404 इंजन, भारत में निर्मित तेजस मार्क 1A लड़ाकू विमानों को शक्ति प्रदान करता है। HAL द्वारा इन विमानों की डिलीवरी में हो रही देरी को लेकर भारतीय वायुसेना पहले ही नाराजगी जता चुकी है।
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पहला इंजन इस समय टेस्ट-बेड पर है और मार्च के अंत तक HAL को सौंपा जाएगा।
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2025 में 12 इंजन की डिलीवरी होगी, उसके बाद हर साल 20 इंजन देने की योजना बनाई गई है।
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पहला तेजस MK 1A विमान मार्च 2024 में पहली उड़ान भर चुका है, लेकिन इसमें नए इंजन की जगह रिजर्व इंजन का इस्तेमाल किया गया था।
GE-404 इंजन डील: 2 साल की देरी क्यों हुई?
भारत और GE के बीच 2021 में 716 मिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट साइन हुआ था, जिसके तहत GE को 99 F-404 इंजन की आपूर्ति करनी थी।
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डिलीवरी मार्च 2023 से शुरू होनी थी, लेकिन इसमें दो साल की देरी हुई।
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कोविड-19 महामारी और सप्लाई चेन में आई दिक्कतों के कारण GE समय पर इंजन नहीं बना पाई।
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अब पहला इंजन मार्च 2025 के अंत तक HAL को सौंपा जाएगा।
भारत में बनेगा GE-414 इंजन, AMCA को मिलेगी ताकत
भारत और GE मिलकर GE-414 इंजन के निर्माण पर भी काम कर रहे हैं।
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यह इंजन एडवांस मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) को शक्ति देगा, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) विकसित कर रहा है।
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यह प्रोजेक्ट भारत-अमेरिका iCET समझौते के तहत टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की योजना के तहत किया जा रहा है।
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AMCA भारत का पहला फिफ्थ-जनरेशन फाइटर जेट होगा, जिसे स्वदेशी तकनीक से बनाया जाएगा।
HAL के देरी से परेशान भारतीय वायुसेना, निजी क्षेत्र को मिलेगा मौका?
HAL द्वारा 83 तेजस MK-1A लड़ाकू विमानों की डिलीवरी में हो रही देरी से भारतीय वायुसेना नाराज है।
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रक्षा मंत्रालय ने रक्षा सचिव आर. के. सिंह की अध्यक्षता में एक नई समिति का गठन किया है।
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यह समिति तकनीकी पहलुओं पर ध्यान नहीं देगी, बल्कि इसमें निजी कंपनियों को शामिल करने के लिए रोडमैप तैयार करेगी।
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उद्देश्य है कि भारत की रक्षा निर्माण प्रणाली सिर्फ HAL तक सीमित न रहे, बल्कि अन्य निजी कंपनियां भी लड़ाकू विमान निर्माण में योगदान दें।
भारत के पास दो विकल्प: अमेरिकी F-35 या फ्रांसीसी राफेल?
भारत के फिफ्थ-जनरेशन फाइटर जेट प्रोग्राम के तहत अमेरिका और फ्रांस दोनों अपने विमान भारत को देने की पेशकश कर रहे हैं।
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अमेरिका ने F-35 फाइटर जेट की आपूर्ति का प्रस्ताव दिया है।
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फ्रांस भारत में राफेल लड़ाकू विमानों और उनके M-88 इंजन के निर्माण का विकल्प दे रहा है।
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भारत आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत फ्रांसीसी तकनीक के साथ स्वदेशी उत्पादन को प्राथमिकता देने पर विचार कर रहा है।