
अगर आपसे पूछा जाए कि भारत का सबसे अमीर राज्य कौन है, तो हो सकता है आप थोड़ा भ्रमित हो जाएं। लेकिन ताजा आंकड़े बताते हैं कि महाराष्ट्र अभी भी देश का सबसे अमीर राज्य बना हुआ है। यह राज्य भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में सबसे बड़ा योगदान देता है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के एक वर्किंग पेपर के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में राष्ट्रीय जीडीपी में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 13.3% रही। हालांकि यह आंकड़ा 2020-21 के 13% से थोड़ा अधिक है, लेकिन 2010-11 के 15.2% की तुलना में इसमें गिरावट दर्ज की गई है। बावजूद इसके, महाराष्ट्र आज भी भारत का प्रमुख आर्थिक शक्ति केंद्र बना हुआ है।
गुजरात की मजबूत प्रगति
महाराष्ट्र जीडीपी में सबसे आगे है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में गुजरात ने भी शानदार आर्थिक वृद्धि दिखाई है। 2010-11 में भारत की जीडीपी में गुजरात की हिस्सेदारी 7.5% थी, जो 2022-23 में बढ़कर 8.1% हो गई। यह संकेत करता है कि गुजरात लगातार राष्ट्रीय स्तर पर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहा है।
हालांकि, प्रति व्यक्ति आय के मामले में महाराष्ट्र गुजरात, तेलंगाना, हरियाणा और कर्नाटक जैसे राज्यों से पिछड़ गया है। वर्ष 2023-24 में प्रति व्यक्ति आय के आधार पर शीर्ष पर रहने वाले राज्य निम्नलिखित रहे:
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सिक्किम: 319.1%
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गोवा: 290.7% (2022-23 के आंकड़े)
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दिल्ली: 250.8%
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तेलंगाना: 193.6%
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कर्नाटक: 180.7%
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हरियाणा: 176.8%
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तमिलनाडु: 171.1%
महाराष्ट्र की दोहरी स्थिति
हालांकि महाराष्ट्र जीडीपी में सबसे अधिक योगदान देने वाला राज्य है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय के मामले में यह पीछे रह गया है। इसका सीधा अर्थ है कि जहां एक ओर राज्य की कुल अर्थव्यवस्था मजबूत है, वहीं दूसरी ओर राज्य के निवासियों की व्यक्तिगत आर्थिक समृद्धि अन्य राज्यों की तुलना में कम है। यह स्थिति बताती है कि महाराष्ट्र देश की आर्थिक वृद्धि में तो प्रमुख भूमिका निभा रहा है, लेकिन गुजरात और अन्य राज्यों की तेज़ प्रगति आने वाले समय में प्रतिस्पर्धा को और बढ़ा सकती है।
नई कंपनियों के पंजीकरण में महाराष्ट्र अव्वल
हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र ने वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 10 महीनों (अप्रैल 2024 से जनवरी 2025) में सबसे अधिक नई कंपनियों के पंजीकरण में भी बाजी मारी है। इस दौरान महाराष्ट्र में 21,000 नई कंपनियों का पंजीकरण हुआ, जिससे वह देश में पहले स्थान पर रहा। इसके बाद उत्तर प्रदेश 15,590 कंपनियों के साथ दूसरे और दिल्ली 12,759 कंपनियों के साथ तीसरे स्थान पर रही।
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