India-China Relations : समंदर में चीन का तैरता किला , भारत के लिए क्यों बज रही है खतरे की घंटी?

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News India Live, Digital Desk: चीन अपना तीसरा और अब तक का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत (aircraft carrier), 'फुजियान', को लगभग तैयार कर चुका है. यह सिर्फ एक जंगी जहाज नहीं है, बल्कि हिंद महासागर में शक्ति संतुलन को बदलने की क्षमता रखने वाला एक तैरता हुआ किला है. फुजियान के समुद्री परीक्षण लगभग पूरे हो चुके हैं और जल्द ही इसके चीनी नौसेना में शामिल होने की उम्मीद है. इस विशालकाय जहाज के आने की खबर से सिर्फ प्रशांत महासागर में ही नहीं, बल्कि हिंद महासागर में भी हलचल तेज हो गई है, और भारत इसे बहुत गंभीरता से देख रहा है.

आखिर फुजियान इतना ख़ास क्यों है?

फुजियान चीन का पहला ऐसा एयरक्राफ्ट कैरियर है जिसे पूरी तरह से देश में ही डिजाइन और तैयार किया गया है. 80,000 टन से भी ज्यादा वजन वाला यह जहाज चीन के मौजूदा दो कैरियर, 'लिओनिंग' और 'शैनडोंग', से कहीं ज्यादा बड़ा और ताकतवर है  लेकिन इसकी असली ताकत इसके आकार में नहीं, बल्कि इसकी तकनीक में छिपी है.

इसकी सबसे बड़ी खासियत है 'इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट' (Electromagnetic Catapult) सिस्टम. आसान भाषा में समझें तो यह एक तरह की हाई-टेक गुलेल है, जो बिजली और चुंबक की शक्ति का इस्तेमाल करके लड़ाकू विमानों को बहुत तेजी से लॉन्च करती है. इस तकनीक के कारण फुजियान से ज्यादा भारी, ज्यादा हथियार और ईंधन से लदे लड़ाकू विमानों को बहुत कम समय में लॉन्च किया जा सकता है.

यह तकनीक इसे भारत के एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य से कहीं आगे कर देती है, जो 'स्की-जंप' तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. स्की-जंप में विमान अपनी ताकत से एक ढलान वाले रैंप से उड़ान भरता है, जिससे उसकी क्षमताएं सीमित हो जाती हैं.

भारत की चिंता क्यों बढ़ गई है?

फुजियान के आने से चीन "तीन-कैरियर" वाला देश बन जाएगा. इसका सीधा मतलब है कि चीन हर समय कम से कम एक एयरक्राफ्ट कैरियर को हिंद महासागर जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों में तैनात रख सकता है, जबकि बाकी दो रखरखाव या ट्रेनिंग में रहेंगे जो नौसेना प्रशांत महासागर में अपनी ताकत दिखा सकती है, उसके लिए हिंद महासागर में दखल देना कोई बड़ी बात नहीं है.

हिंद महासागर भारत की समुद्री सुरक्षा और व्यापार के लिए बेहद अहम है. इस इलाके में चीन के विशाल एयरक्राफ्ट कैरियर की मौजूदगी भारत के लिए एक सीधी चुनौती होगी. फुजियान पर J-35 जैसे स्टील्थ फाइटर जेट्स और आसमान में आंख की तरह काम करने वाले KJ-600 अर्ली वॉर्निंग एयरक्राफ्ट तैनात किए जा सकते हैं, जो इसे और भी घातक बना देते हैं]

चीन की यह बढ़ती ताकत इस क्षेत्र में हथियारों की एक नई होड़ शुरू कर सकती है. हालांकि भारत भी अपनी नौसेना को मजबूत कर रहा है और एक और बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर को बनाने की योजना पर काम चल रहा है, लेकिन फुजियान ने तकनीक और ताकत के मामले में फासले को और बढ़ा दिया है

यह साफ है कि फुजियान सिर्फ एक युद्धपोत नहीं है, बल्कि यह चीन की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक है. भारत के लिए यह एक स्पष्ट संकेत है कि हिंद महासागर में आने वाले दिन चुनौतियों से भरे हो सकते हैं और अपनी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए और ज्यादा तैयार रहने की जरूरत है.

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